Searching...
Thursday, November 2, 2023

2005 के पहले चयनित कर्मी पुरानी पेंशन के हकदार, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चयनित लेखपालों के लिए पुरानी पेंशन को माना जायज

एनपीएस के बाद नियुक्त लेखपालों को पुरानी पेंशन दें: हाई कोर्ट




प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि चयन प्रक्रिया पूरी होने में देरी के लिए लेखपालों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने 1999 से 2000 की भर्ती में वर्ष 2003-04 के दौरान चयनित व नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू होने के बाद नियुक्त लेखपालों पुरानी पेंशन देने से इन्कार करने के राज्य सरकार के आदेश को अवैध करार दिया है और पुरानी पेंशन देने का निर्देश दिया है।


 कोर्ट ने कहा कि तकनीकी आधार पर पुरानी पेंशन से इन्कार नहीं किया जा सकता। केंद्र सरकार ने भी तीन मार्च 2023 की अधिसूचना से 22 दिसंबर 2003 से पहले चयनित अभ्यर्थियों को पुरानी पेंशन देने का निर्णय लिया है, जिसका पालन किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने यूपी लेखपाल संघ की तरफ से कोषाध्यक्ष विनोद कुमार व कई अन्य की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है।




 याची गण का कहना था कि याचियों की पांच नवंबर 2000 में भर्ती परीक्षा हुई। याची शाहजहांपुर में लेखपाल हैं। सुप्रीम कोर्ट के स्थगनादेश के कारण चयनित लेखपाल ज्वाइन नहीं कर सके। जून से जुलाई 2005 के बीच नियुक्ति की गई। पहली अप्रैल 2005 को नई पेंशन स्कीम लागू हो चुकी थी।



2005 के पहले चयनित कर्मी पुरानी पेंशन के हकदार, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चयनित लेखपालों के लिए पुरानी पेंशन को माना जायज

 
प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अप्रैल, 2005 के पहले चयनित लेखपालों के लिए पुरानी पेंशन योजना वहाल कर दी है। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए याचियों को पुरानी पेंशन का हकदार मानते हुए सरकार को पुरानी पेंशन का लाभ देने का आदेश दिया है।


यह फैसला न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव की एकल खंडपीठ ने लेखपाल संघ व अन्य की ओर से दाखिल याचिका को स्वीकार करते हुए सुनाया है। राज्य सरकार की ओर अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी ने दलील दी कि याचियों की नियुक्ति 1 अप्रैल, 2005 या उसके बाद हुई है, इसलिए पुरानी पेंशन योजना इन पर लागू नहीं होती। 



वहीं, याचियों की दलील थी कि उनका चयन एवं प्रशिक्षण सत्र 2003-04 में हुआ था। अगस्त 2004 में प्रशिक्षण पूरा हो गया था। उनकी नियुक्ति में देरी सरकार की ओर से हुई। अगर प्रशिक्षण पूरा करने के बाद सरकार की ओर से नियुक्ति में देरी न हुई होती तो याची पुरानी पेंशन के लिए निर्धारित अवधि के दायरे में होते।


याचियों ने नई पेंशन योजना के तहत वेतन से हो रही कटौती को पुरानी पेंशन योजना के अंतर्गत जीपीएफ में समायोजित करने की भी मांग की है।

संबन्धित खबरों के लिए क्लिक करें

GO-शासनादेश NEWS अनिवार्य सेवानिवृत्ति अनुकम्पा नियुक्ति अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण अवकाश आधार कार्ड आयकर आरक्षण आवास उच्च न्यायालय उच्‍च शिक्षा उच्चतम न्यायालय उत्तर प्रदेश उत्तराखण्ड उपभोक्‍ता संरक्षण एरियर एसीपी ऑनलाइन कर कर्मचारी भविष्य निधि EPF कामधेनु कारागार प्रशासन एवं सुधार कार्मिक कार्यवाही कृषि कैरियर कोर्टशाला कोषागार खाद्य एवं औषधि प्रशासन खाद्य एवम् रसद खेल गृह गोपनीय प्रविष्टि ग्रामीण अभियन्‍त्रण ग्राम्य विकास ग्रेच्युटी चतुर्थ श्रेणी चयन चिकित्सा चिकित्‍सा एवं स्वास्थ्य चिकित्सा प्रतिपूर्ति छात्रवृत्ति जनवरी जनसुनवाई जनसूचना जनहित गारण्टी अधिनियम धर्मार्थ कार्य नकदीकरण नगर विकास निबन्‍धन नियमावली नियुक्ति नियोजन निर्वाचन निविदा नीति न्याय न्यायालय पंचायत चुनाव 2015 पंचायती राज पदोन्नति परती भूमि विकास परिवहन पर्यावरण पशुधन पिछड़ा वर्ग कल्‍याण पीएफ पुरस्कार पुलिस पेंशन प्रतिकूल प्रविष्टि प्रशासनिक सुधार प्रसूति प्राथमिक भर्ती 2012 प्रेरक प्रोबेशन बजट बर्खास्तगी बाट माप बेसिक शिक्षा बैकलाग बोनस भविष्य निधि भारत सरकार भाषा मत्‍स्‍य मंहगाई भत्ता महिला एवं बाल विकास माध्यमिक शिक्षा मानदेय मानवाधिकार मान्यता मुख्‍यमंत्री कार्यालय युवा कल्याण राजस्व राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद राज्य सम्पत्ति राष्ट्रीय एकीकरण रोक रोजगार लघु सिंचाई लोक निर्माण लोक सेवा आयोग वरिष्ठता विकलांग कल्याण वित्त विद्युत विविध विशेष भत्ता वेतन व्‍यवसायिक शिक्षा शिक्षा शिक्षा मित्र श्रम सचिवालय प्रशासन सत्यापन सत्र लाभ सत्रलाभ समन्वय समाज कल्याण समाजवादी पेंशन समारोह सर्किल दर संवर्ग संविदा संस्‍थागत वित्‍त सहकारिता सातवां वेतन आयोग सामान्य प्रशासन सार्वजनिक उद्यम सार्वजनिक वितरण प्रणाली सिंचाई सिंचाई एवं जल संसाधन सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम सूचना सेवा निवृत्ति परिलाभ सेवा संघ सेवानिवृत्ति सेवायोजन सैनिक कल्‍याण स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन स्थानांतरण होमगाडर्स