एनपीएस के बाद नियुक्त लेखपालों को पुरानी पेंशन दें: हाई कोर्ट
प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि चयन प्रक्रिया पूरी होने में देरी के लिए लेखपालों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने 1999 से 2000 की भर्ती में वर्ष 2003-04 के दौरान चयनित व नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू होने के बाद नियुक्त लेखपालों पुरानी पेंशन देने से इन्कार करने के राज्य सरकार के आदेश को अवैध करार दिया है और पुरानी पेंशन देने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि तकनीकी आधार पर पुरानी पेंशन से इन्कार नहीं किया जा सकता। केंद्र सरकार ने भी तीन मार्च 2023 की अधिसूचना से 22 दिसंबर 2003 से पहले चयनित अभ्यर्थियों को पुरानी पेंशन देने का निर्णय लिया है, जिसका पालन किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने यूपी लेखपाल संघ की तरफ से कोषाध्यक्ष विनोद कुमार व कई अन्य की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है।
याची गण का कहना था कि याचियों की पांच नवंबर 2000 में भर्ती परीक्षा हुई। याची शाहजहांपुर में लेखपाल हैं। सुप्रीम कोर्ट के स्थगनादेश के कारण चयनित लेखपाल ज्वाइन नहीं कर सके। जून से जुलाई 2005 के बीच नियुक्ति की गई। पहली अप्रैल 2005 को नई पेंशन स्कीम लागू हो चुकी थी।
प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अप्रैल, 2005 के पहले चयनित लेखपालों के लिए पुरानी पेंशन योजना वहाल कर दी है। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए याचियों को पुरानी पेंशन का हकदार मानते हुए सरकार को पुरानी पेंशन का लाभ देने का आदेश दिया है।
यह फैसला न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव की एकल खंडपीठ ने लेखपाल संघ व अन्य की ओर से दाखिल याचिका को स्वीकार करते हुए सुनाया है। राज्य सरकार की ओर अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी ने दलील दी कि याचियों की नियुक्ति 1 अप्रैल, 2005 या उसके बाद हुई है, इसलिए पुरानी पेंशन योजना इन पर लागू नहीं होती।
वहीं, याचियों की दलील थी कि उनका चयन एवं प्रशिक्षण सत्र 2003-04 में हुआ था। अगस्त 2004 में प्रशिक्षण पूरा हो गया था। उनकी नियुक्ति में देरी सरकार की ओर से हुई। अगर प्रशिक्षण पूरा करने के बाद सरकार की ओर से नियुक्ति में देरी न हुई होती तो याची पुरानी पेंशन के लिए निर्धारित अवधि के दायरे में होते।
याचियों ने नई पेंशन योजना के तहत वेतन से हो रही कटौती को पुरानी पेंशन योजना के अंतर्गत जीपीएफ में समायोजित करने की भी मांग की है।