नई दिल्ली । पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण ने राष्ट्रीय पेंशन योजना से जुड़े सदस्यों के लिए नई सुविधा शुरू की है। अब सदस्य क्यूआर कोड के माध्यम से भी एनपीएस खाते में निवेश कर सकेंगे। यह सुविधा डी- रेमिट वर्चुअल आईडी के तहत उपलब्ध होगी। इससे भुगतान तेज होगा और एक ही दिन में निवेश की राशि खाते में दर्ज हो जाएगी।
पीएफआरडीए के अनुसार, प्रत्येक डी- रेमिट आईडी के लिए अलग क्यूआर कोड उपलब्ध होगा। इसके अलावा सदस्यों के पास डी- रेमिट आईडी होना जरूरी है। यह सुविधा सदस्यों को पॉइंट ऑफ प्रेजेंस पर जाए बिना एनपीएस खाते (टियर 1 और 2) में बैंक खाते से एनपीएस में निवेश राशि जमा करने की अनुमति देगी। फिलहाल योगदान इंटरनेट बैंकिंग, एनईएफटी, आरटीजीएस और यूपीआई के माध्यम से किया जाता है।
निवेश करते समय भुगतान के समय का ध्यान रखें
डी- रेमिट आईडी से क्यूआर कोड या अन्य माध्यमों के जरिए किए योगदान का समय भी अहम है। पीएफआरडीए के अनुसार, इस प्रक्रिया में सुबह 9:30 बजे के पहले किए गए भुगतान को ही उसी दिन किया गया निवेश माना जाएगा। ग्राहक को उसी दिन निवेश का शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) प्राप्त होगा। यदि इस समय के बाद भुगतान होता है तो उसकी गणना अगले दिन के निवेश के तौर पर की जाएगी।
क्या है डी - रेमिट सुविधा
पेंशन फंड नियामक ने वर्ष 2020 में एनसीएस सदस्यों के लिए डी- रेमिट सुविधा शुरू की थी। इसके तहत सदस्यों को डी- रेमिट वर्चुअल आईडी बनानी होती है, जो एनपीएस के स्थायी खाता संख्या (पीआरएएन) से लिंक होती है। इस सुविधा में सदस्य अपने बैंक खातों से सीधे अपने एनसीएस खातों (टियर -1 और टियर-2 ) में धन हस्तांतरित कर सकते हैं। डी-रेमिट सुविधा के माध्यम से न्यूनतम भुगतान राशि 500 रुपये है।
ऐसे उठा सकेंगे लाभ
वर्चुअल आईडी बनाने के बाद सदस्य को अपने नेट बैंकिंग खाते में लॉगइन कर एनपीएस के संख्या संख्या और आईएफएससी कोड यूपीआई आईडी या क्यूआर कोड से जोड़ना होगा। इसके बाद अपने भुगतान को मासिक, त्रैमासिक, छमाही या सालाना आधार पर तय करना होगा। जिस तिथि का चयन भुगतान के लिए करेंगे, उससे करेंगे, उससे पहले संदेश भेजा जाएगा। उसी के आधार पर भुगतान प्रक्रिया पूरी करनी होगी।