आपराधिक मामले में सजा पाए एक ग्रुप डी कर्मचारी के मामले में अदालत का अहम फैसला
कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट ने पेंशन और ग्रेच्युटी के भुगतान से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया। फैसले में कोर्ट ने यदि कोई कर्मचारी आपराधिक मामले में दोषी पाया जाता है तो भी उसे मिलने वाली पेंशन और ग्रेच्युटी के भुगतान को रोका नहीं जा सकता है। बशर्ते उस कर्मचारी के आपराधिक मामले की वजह से संस्थान या सरकार को कोई आर्थिक क्षति नहीं हुई हो। हाई कोर्ट के न्यायाधीश विश्वजीत बसु की अदालत ने बंगाल में एक स्कूल के सेवानिवृत्त ग्रुप डी कर्मचारी की अपील पर यह आदेश दिया।
पुरुलिया के सीतापुर हाईस्कूल में ग्रुप डी कर्मचारी खालिद अंसारी याचिका दायर की थी। अंसारी 2022 में सेवानिवृत्त हो गए थे। उनके वकील ने बताया कि एक मामले में सत्र अदालत ने उन्हें 1989 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी और 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। उन्होंने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। जमानत पर रिहा होने के बाद उन्होंने ड्यूटी भी ज्वाइन कर लिया था।
पिछले साल सेवानिवृत्त हुए, जब उन्होंने पेंशन और ग्रेच्युटी के लिए आवेदन किया तो उनके खिलाफ उक्त आपराधिक मामले का हवाला देते हुए विभाग ने इसे देने से इन्कार कर दिया था । तब उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान डीआइ की तरफ से दाखिल रिपोर्ट में कहा गया कि अभी तक उनकी सजा के खिलाफ अपील पर फैसला नहीं आया है और वह अपराध से मुक्त नहीं हो पाए हैं, इसीलिए पेंशन और ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया जा सकता है। इस पर अंसारी के वकील ने अदालत में हा कि इस आधार पर भुगतान नहीं रोका जा सकता है।