सरकारी कर्मचारी एनपीएस में अधिक मुनाफा कमा पाएंगे
नई दिल्ली । पेंशन निधि नियामक पीएफआरडीए ने सरकारी कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के नियमों में अहम बदलाव किया है। अब कर्मचारियों के एनपीएस टियर-2 खातों में डिफॉल्ट योजना का विकल्प मिलेगा। इससे वे अपने निवेश के लिए पेंशन फंड मैनेजर (पीएफएम) और प्रतिशत में रिटर्न का दायरा चुन सकेंगे। इससे टियर-2 खाते में निवेश जोखिम कम होगा और मुनाफे के अधिक अवसर उपलब्ध होंगे।
इस संबंध में पेंशन निधि नियामक ने हाल ही में सर्कुलर जारी किया है। इसके मुताबिक, खाताधारकों के चुने हुए विकल्पों के मुताबिक ही पेंशन फंड मैनेजर उनके कोष का निवेश करेगा। पीएफआरडीए ने डिफॉल्ट योजना फंड का प्रबंधन तीन पेंशन फंड मैनेजरों को सौंपा है। टियर-1 खाते की तरह ही कर्मचारी के जमा किए कोष को इक्विटी, सरकारी और गैर सरकारी बॉन्ड तथा निश्चित आय वाली योजनाओं में लगाया जाएगा। कॉर्पोरेट ऋण और सरकारी ऋण के विकल्प भी पहले की तरह ही उपलब्ध रहेंगे।
टियर -1 और टियर-2 खाते में अंतर
12 फीसदी तक रिटर्न मिला है एक दशक में
एनपीएस योजना के तहत दो तरह के खाते खोले जा सकते हैं। टियर-1 खाता पेंशन के लिए होता है, जबकि टियर-2 खाता स्वैच्छिक बचत खाते की तरह होता है। टियर-2 खाता तभी खोला जा सकता है, जब टियर-1 खाता पहले से हो। पहले वाले खाते में सरकारी कर्मचारी का योगदान ईपीएफ की तर्ज पर होता है। लेकिन दूसरे खाते में इसकी सीमा नहीं है।
कभी भी निकाल सकते हैं
टियर-1 खाते से निकासी पर कई प्रतिबंध हैं। बच्चों की शिक्षा, विवाह, गंभीर बीमारियों के उपचार और पहले घर के निर्माण के लिए खाता खोलने के 10 वर्षों के बाद अपने योगदान के 25% तक के हिस्से को निकाल सकते हैं। लेकिन टियर-2 खाते में निकासी पर कोई प्रतिबंध नहीं है। सदस्य पूरी राशि एकमुश्त कभी भी वापस ले सकता है।
ऐसे होगा फायदा
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, डिफॉल्ट योजना का विकल्प अबतक एनपीएस टियर -1 खाते में उपलब्ध था। इसमें कर्मचारी के कोष का प्रबंधन पीएफआरडीए द्वारा पीएफएम की ओर से किया जाता है। टियर-2 में यह सुविधा नहीं थी। कमर्चारी को खुद ही प्रबंधन करना होता था, जिससे निवेश जोखिम बना रहता था। नई व्यवस्था में ऐसे निवेशक, जिन्हें वित्तीय निवेश की अधिक समझ नहीं होती, वे डिफॉल्ट योजना की मदद से टियर-2 खाते में निवेश कर पाएंगे। समय के साथ जैसे-जैसे उनकी समझ बढ़ेगी, वे अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम के अनुसार अपने पोर्टफोलियो में बदलाव कर सकते हैं।