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Thursday, September 21, 2023

महिला आरक्षण बिल नारी शक्ति वंदन अधिनियम लोकसभा में दो-तिहाई बहुमत से पास

Women's Reservation Bill Pass in Loksabha: महिला आरक्षण बिल के मुताबिक, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेशन लागू किया जाएगा. लोकसभा की 543 सीटों में से 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. ये रिजर्वेशन 15 साल तक रहेगा

गुरुवार को इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा. वहां से पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साइन के लिए भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा. महिला आरक्षण बिल नई संसद के लोकसभा में पास हुआ पहला बिल भी है.


महिला आरक्षण बिल के मुताबिक, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेशन लागू किया जाएगा. लोकसभा की 543 सीटों में से 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. ये रिजर्वेशन 15 साल तक रहेगा. इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है. यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा. यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा.


गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष के सवालों का दिया जवाब
महिला आरक्षण बिल पर वोटिंग से पहले गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष के सवालों का जवाब दिया. शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा देशभर में दिया. उन्होंने कहा कि गुजरात में उन्होंने जागरूकता पैदा की. इससे लिंगानुपात में सुधार हुआ था. अमित शाह ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाई का फायदा ये हुआ कि एक ओर लिंगानुपात में सुधार हुआ, दूसरा गुजरात में प्राइमरी एजुकेशन में 37 फीसदी ड्ऱॉपआउट रेशो था, लेकिन जब मोदीजी प्रधानमंत्री बने तो ये ड्रॉपआउट रेशो घटकर 0.7 फीसदी रह गया. 


शाह ने कहा, "ये हमारे लिए राजनीति नहीं, मान्यता और संस्कृति का मुद्दा है. महिला सशक्तीकरण संविधान संसोधन से जुड़ा नहीं है, बल्कि ये महिलाओं के लिए सुरक्षा, सम्मान और सहभागिता का मामला है. मोदीजी ने जिस दिन पीएम पद की शपथ ली, ये संकल्प लिया. ये सरकार का संकल्प है, जिसे पूरा किया गया." गृहमंत्री ने इसके साथ बिल को पास कराने के लिए सहयोग मांगा. 


कानून मंत्री ने क्या कहा?
महिला आरक्षण बिल पर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि परिसीमन को लेकर सवाल खड़ा किया जा रहा है. परिसीमन के सेक्शन 8 और 9 में ये कहा गया है कि संख्या देकर ही निर्धारण होता है. इन तकनीकी चीजों में हम जाएंगे तो आप चाहते हैं कि ये बिल फंस जाए. लेकिन हम इस बिल को फंसने नहीं देंगे. सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है कि महिला आरक्षण का विषय हॉरिजोन्टल भी है और वर्टिकल भी है. अब तुरंत तो परिसीमन, जनगणना नहीं हो सकती. आप कह रहे हैं कि तुरंत दे दीजिए.


तीन दशक से अटका था महिला आरक्षण बिल
संसद में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव 3 दशक से अटका हुआ था. पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आकलन करने वाली समिति ने इस मुद्दे को उठाया. इसके बाद 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था. लेकिन तब सपा और आरजेडी ने महिला आरक्षण बिल का विरोध किया. दोनों पार्टियों ने तत्कालीन UPA सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी. इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया.

महिला आरक्षण बिल कानून बन भी गया तो क्या फंसा है पेंच
आला सरकारी सूत्र के मुताबिक, महिला आरक्षण 2029 के लोकसभा चुनाव से संभव हो सकता है. आरक्षण को अमली जामा पहनाने के लिए लंबी संवैधानिक प्रक्रिया है. इस बिल को 50 प्रतिशत राज्य विधानसभाओं की मंजूरी की जरुरत नहीं है. यानी संसद से पास होने और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये कानून बन जाएगा. लेकिन सरकार सबसे पहले नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के रूल्स नोटिफाई करेगी. इसके बाद जनगणना का काम शुरू होगा. उसके बाद परिसीमन आयोग लोकसभा और विधानसभा परिसीमन का काम पूरा करेगा. महिला आरक्षण कानून जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लागू होगा.



20 सितंबर 2023
नारी शक्ति वंदन अधिनियम लोकसभा में पेश, आसान नहीं है महिला आरक्षण की राह, संसद से पास होने पर भी 2029 तक हो सकेगा लागू

महिला आरक्षण से जुड़े नारी शक्ति वंदन अधिनियम को लोकसभा में पेश किया गया


नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ऐतिहासिक ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को मंगलवार को लोकसभा में पेश किया. विधेयक में कहा गया है कि आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके पश्चात परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही प्रभावी होगा. ऐसे में 2024 चुनाव से पहले इसके लागू होने की संभावना नहीं के बराबर है. इसका एक मतलब यह भी है कि भले ही विधेयक पारित हो जाए, लेकिन 2029 में चुनाव होने तक इसे अधिनियमित नहीं किया जा सकता है.


लोकसभा में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण से जुड़ा 128वां संविधान संशोधन ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023’ पेश किया. यह संसद के विशेष सत्र में नए संसद भवन में पेश किया जाने वाला पहला विधेयक है. सरकार ने कहा कि महिलाओं के आरक्षण से संबंधित इस संविधान संशोधन विधेयक का उद्देश्य राष्ट्र और राज्य स्तर पर नीति बनाने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना है. विधेयक में फिलहाल 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा.


एससी और एसटी के लिए आरक्षण
जनगणना 2021 में आयोजित होने वाली थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसमें देरी हुई. चूंकि आम चुनाव 2024 में होने हैं, इसलिए भारत में अगली जनगणना अगले साल के अंत तक नहीं हो सकती है. विधेयक में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) से संबंधित महिलाओं के लिए आरक्षण शामिल है. हालांकि, इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का कोई उल्लेख नहीं है. विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि “जितना संभव हो सके”, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें प्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से भरी जाएंगी. आरक्षित सीटों में, “जितना संभव हो” एक तिहाई सीटें एससी और एसटी के लिए होंगी.


मेघवाल ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह महिला सशक्तीकरण से संबंधित विधेयक है और इसके कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की संख्या मौजूदा 82 से बढ़कर 181 हो जाएगी. उन्होंने कहा कि इसके पारित होने के बाद विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जाएंगी.




19 सितंबर 2023
महिला आरक्षण बिल कैबिनेट से मंजूर, कल संसद में होगा पेश 


संसद के विशेष सत्र के बीच सोमवार को कैबिनेट बैठक में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी मिल गई। इस विधेयक में लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में डेढ़ घंटे तक चली बैठक में यह फैसला लिए जाने की जानकारी सामने आई है। हालांकि, सरकार ने इसका आधिकारिक ऐलान नहीं किया। यह बिल मंगलवार को लोकसभा में पेश किया जा सकता है।


नए स्वरूप में विधेयक माना जा रहा है कि केंद्र सरकार महिला आरक्षण बिल को वर्ष 2010 में राज्यसभा में पारित बिल से अलग स्वरूप में लेकर आएगी। वर्ष 2010 में यूपीए सरकार के दौरान उच्च सदन में पारित बिल लोकसभा में नहीं लाया जा सका था।


27 वर्षों से लंबित सूत्रों का कहना है कि करीब 27 सालों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक संसद के पटल पर आएगा। इस पर दोनों सदनों की मुहर जरूरी होगी। लोकसभा में सरकार के पास पूर्ण बहुमत है, जबकि राज्यसभा में भी कांग्रेस सहित कई दलों के समर्थन के चलते इस बार राह मुश्किल नहीं लगती। हालांकि, सपा और राजद जैसे दल अब भी इस का विरोध कर रहे हैं।


अलग प्रावधान संभव विशेष सत्र बुलाए जाने की खबर के बाद से महिला आरक्षण बिल को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी दे दी है। संभावना जताई जा रही है कि महिला आरक्षण विधेयक के भीतर एससी-एसटी और ओबीसी महिलाओ को आरक्षण का प्रावधान भी किया जा सकता है।


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