नई दिल्ली । केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव या इससे ऊपर के अधिकारियों के खिलाफ सक्षम प्राधिकार की मंजूरी के बगैर ही मुकदमा चलाया जा सकेगा। सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ की ओर से सोमवार को दिए गए एक फैसले में यह व्यवस्था दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 की धारा- 6ए को रद्द करने का 2014 का उसका फैसला 11 सितंबर 2003 से ही लागू होगा। डीएसपीई अधिनियम की धारा- 6ए में यह प्रावधान किया गया था कि भ्रष्टाचार के मामलों में केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव या इससे ऊपर स्तर के अधिकारियों के खिलाफसक्षम प्राधिकार की मंजूरी/अनुमति के बगैर जांच नहीं हो सकती।
शीर्ष अदालत ने मई 2014 में धारा 6ए (1) रद्द की थी
शीर्ष अदालत ने मई 2014 को दिए अपने फैसले में कानून की धारा 6ए (1) को अमान्य करार दिया था और कहा था कि धारा 6ए में दी गई छूट में 'भ्रष्ट लोगों को बचाने की प्रवृत्ति' है। संविधना पीठ ने सोमवार को मामले में अपना फैसला दिया कि क्या गिरफ्तारी से छूट देने वाले प्रावधान को रद्द करने का संविधान के अनुच्छेद- 20 के तहत संरक्षित अधिकारों के मद्देनजर पूर्वव्यापी प्रभाव पड़ेगा ।