जीपीएफ खाते में जमा से अधिक मंजूर,कार्रवाई तय
लखनऊ कार्मिकों के सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) खाते में जमा धनराशि से अधिक धनराशि निकालने की स्वीकृति देने वाले अधिकारियों पर शासन की गाज गिरेगी। ऐसे 456 प्रकरणों की सूची के साथ संबंधित विभागाध्यक्षों को आदेश दिया गया है कि उत्तरदायित्व निर्धारित कर कार्यवाही की जाए।
अपर मुख्य सचिव वित्त दीपक कुमार ने इस आशय का शासनादेश बुधवार को जारी किया। जिसमें उन्होंने लिखा है कि जीपीएफ खाते से अधिक धनराशि के भुगतान की स्वीकृति कर दिए जाने से अनंतिम भुगतान के मामलों में अधिक भुगतान की गई राशि ऋणात्मक हो जाती है। ऐसे मामलों में विभिन्न कारणों से वसूली संभव नहीं हो पाती है। ऐसे प्रकरणों में महालेखाकार उत्तर प्रदेश द्वारा बट्टे खाते में डाले जाने का अनुरोध राज्य सरकार से किया जाता है, जो कि खेदजनक है।
विभागाध्यक्षों, कार्यालयाध्यक्षों और आहरण वितरण अधिकारियों को संबोधित इस शासनादेश में लिखा गया है कि जो 456 प्रकरणों की सूची संलग्न है, इन मामलों में भुगतान के लिए जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों को चिन्हित कर उनका उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाए। उत्तरदायित्व निर्धारित करने के साथ ही समुचित कार्यवाही की जाए, जिससे भविष्य में ऋणात्मक अवशेष की स्थिति न बने।
अधिकारियों ने स्वीकृत राशि से ज्यादा जारी कर दी रकम
महालेखाकार ने ऐसी राशि को बट्टे खाते में डालने के लिए कहा
लखनऊ। सामान्य भविष्यनिधि के 456 मामलों में खाते में जमा राशि से ज्यादा रकम निकाल ली गई। अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने सभी विभागाध्यक्षों और आहरण अधिकारियों से जांच के साथ कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
सरकारी कर्मचारियों के जीपीएफ मामले सामान्य भविष्य निधि (उत्तर प्रदेश) नियमावली से शासित होते हैं। इसके मुताबिक जीपीएफ खाते में जमा राशि के निकालने की स्वीकृति के संबंध में फैसले प्रशासकीय विभाग लेते हैं। ऐसे 456 मामले सामने आए हैं, जिसमें प्रशासकीय अधिकारियों ने जीपीएफ का ज्यादा भुगतान कर दिया।
महालेखाकार ने जांच के दौरान स्वीकृत राशि से ज्यादा जीपीएफ भुगतान के मामलों को पकड़ा। जांच में ये पाया गया कि ज्यादा राशि का भुगतान करने से सरकारी दस्तावेज में बैलेंसशीट माइनस में चली गई। ऐसे मामलों में वसूली के आदेश दिए गए हैं, लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे मामले हैं, जहां वसूली संभव नहीं है।
इस धन को महालेखाकर ने बट्टे खाते में डालने का अनुरोध प्रदेश सरकार से किया है। शासन ने इस मामले को अत्यंत गंभीर बताते हुए उन सभी विभागों को सूची भेजी है, जहां ज्यादा जीपीएफ का भुगतान कर दिया गया। इसकी जांच के साथ ही संबंधित कर्मचारियों और अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के साथ ही कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।