पीपीएफ की ब्याज दर में इजाफे की उम्मीद, अप्रैल 2020 से नहीं बढ़ाई गई दरें, 30 सितंबर को है समीक्षा
7.1 फीसदी की दर से ब्याज मिल रहा है फिलहाल
7.9 फीसदी ब्याज दर थी 1 अप्रैल 2020 से पहले
नई दिल्ली : केंद्र सरकार आगामी 30 सितंबर को छोटी बचत बचत योजनाओं पर मिलने वाली ब्याज दरों में बदलाव कर सकती है।
तिमाही आधार पर ब्याज दरों में होने वाले इस बदलाव को लेकर पीपीएफ यानी लोक भविष्य निधि में निवेश करने वाले लोगों को बड़ी आशा है कि इस बार सरकार ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगी।
दरअसल, इससे पिछले संशोधन में कई छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में बदलाव किया गया था, लेकिन पीपीएफ के निवेशक बीते 42 महीनों से इसकी ब्याज दरों में बदलाव का इंतजार कर रहे हैं। अभी पीपीएफ पर 7.1 फीसदी की दर से ब्याज दिया जाता है और इसमें इस बार इजाफा देखने को मिल सकता है। इस योजना में आखिरी बार बदलाव अप्रैल 2020 में किया गया था। इस बार उम्मीद की जा रही है कि सरकार लगभग साढ़े तीन साल बाद पीपीएफ खाता धारकों को राहत दे सकती है।
हर तीन माह बाद होती है योजना की समीक्षा
सरकार हर तीन माह के बाद छोटी बचत योजनाओं पर दिए जाने वाले ब्याज की समीक्षा कर उनमें संशोधन करती है। इसी क्रम में पिछली तिमाही पर वित्त मंत्रालय ने सुकन्या समृद्धि योजना से लेकर राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र, किसान विकास पत्र, पोस्ट ऑफिस की बचत योजनाओं और वरिष्ठ नागरिक बचत योजना की ब्याज दरों में इजाफा किया था।
बदलाव न होने की वजह
विशेषज्ञों के अनुसार, पीपीएफ ब्याज दर में ज्यादा बढ़ोतरी न होने का प्रमुख कारण यह है कि इस योजना में टैक्स के बाद रिटर्न अधिक है। उच्चतम कर दायरे के मामले में यह लगभग 10.32 फीसदी तक पहुंच जाता है। इसे देखते हुए ब्याज दर में बदलाव नहीं किया जाता है।
क्या है पीपीएफ खाता
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड एक लंबी अवधि की निवेश योजना है। इसमें सालाना आधार पर न्यूनतम 500 और अधिकतम 1.5 लाख रुपये जमा किए जा सकते हैं। योजना में 15 साल की लॉक-इन अवधि होती है। हालांकि, कुछ शर्तों पर पैसा निकाला जा सकता है।