माफी से नहीं चलेगा काम–गलत पोस्ट डाली तो भुगतने होंगे परिणाम, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-पोस्ट करने से पहले उसके प्रभाव और पहुंच को लेकर रहना चाहिए सतर्क
शीर्ष अदालत ने खारिज की तमिलनाडु के पूर्व विधायक एसवी शेखर की याचिका
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल करने वाले लोगों को इसके प्रभाव और पहुंच के बारे में सावधान रहने की नसीहत दी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल करना आवश्यक लगता है, तो उसे परिणाम भुगतने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।
जस्टिस बीआर गवई और पीके मिश्रा की पीठ ने अभिनेता और तमिलनाडु के पूर्व विधायक एसवी शेखर की याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। 2018 में महिला पत्रकारों के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणियों वाला फेसबुक पोस्ट साझा करने के मामले में एसवी शेखर मुकदमों का सामना कर रहे हैं।
शीर्ष अदालत मद्रास हाई कोर्ट के 14 जुलाई के उस आदेश के खिलाफ शेखर की ओर से दायर याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिसमें आपराधिक मुकदमा रद करने संबंधी उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से कहा, अगर कोई इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल करता है, तो उसे इसके प्रभाव और पहुंच के बारे में अधिक सावधान रहना चाहिए। वकील ने दलील दी कि घटना के दिन शेखर ने अपनी आंखों में कुछ दवा डाल ली थी, जिसके कारण वह साझा किए गए अपने पोस्ट की विषय-वस्तु नहीं पढ़ सके थे। पीठ ने कहा कि इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल करते समय सावधानी बरतनी होती है।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि शेखर ने 19 अप्रैल, 2018 को अपने फेसबुक अकाउंट पर 'अपमानजनक और अश्लील टिप्पणी' प्रकाशित/प्रसारित की थी, जिसके बाद चेन्नई पुलिस आयुक्त के समक्ष शिकायत दर्ज की गई। हाई कोर्ट ने इस बात का संज्ञान लिया था कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी और तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में उनके खिलाफ अन्य निजी शिकायतें भी दर्ज की गईं।
शेखर के वकील ने हाई कोर्ट के समक्ष दलील दी थी कि उन्हें उस संदेश की विषय-वस्तु के बारे में पता नहीं था, उन्होंने इसे केवल अपने फेसबुक अकाउंट से आगे बढ़ा दिया था। संदेश में मौजूद अपमानजनक टिप्पणियों के बारे में पता चलने के बाद शेखर ने कुछ घंटों के भीतर लिखित सामग्री हटा दी और 20 अप्रैल, 2018 को एक पत्र लिखकर महिला पत्रकारों और मीडिया से माफी मांगी थी।