लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अनुकम्पा नियुक्ति के मामलों को दशकों तक लटकाए रखने व अप्रासंगिक आधारों पर मृतक कर्मचारियों के वारिसों के दावों को अस्वीकार करने की प्रथा की तीखी आलोचना की है।
न्यायालय ने याद दिलाया कि अनुकम्पा नियुक्ति का उद्देश्य कर्मचारी की मृत्यु के कारण उसके परिवार के समक्ष आई आर्थिक परेशानी से उबारने में सहयोग करना है। न्यायालय ने कहा कि इस उद्देश्य को याद रखते हुए, अनुकम्पा नियुक्ति के आवेदनों पर सुस्त तरीके से नहीं बल्कि उचित समय के भीतर निर्णय लिया जाना चाहिए।
न्यायालय ने इन टिप्पणियों के साथ ही यूपी सहकारी ग्राम्य विकास बैंक लिमिटेड के एक कर्मचारी जिसकी सिविल डेथ 15 वर्ष पूर्व घोषित की जा चुकी थी, उसके पुत्र की अनुकम्पा नियुक्ति पर आठ सप्ताह में निर्णय लेने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति इरशाद अली की एकल पीठ ने अनुराग कुमार गुप्ता की याचिका पर पारित किया।