फैसला : मृतक कर्मचारी के बकाया की वसूली न तो उसके आश्रित से की जा सकती है और न ही सेवानिवृति लाभ व ग्रेच्युटी से — हाईकोर्ट
प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा कि मृतक कर्मचारी के बकाया की वसूली न तो उसके आश्रित से की जा सकती है और न ही सेवानिवृति लाभ व ग्रेच्युटी से। कोर्ट ने कहा कि सेवानिवृति लाभ सहित ग्रेच्युटी प्राप्त करना कर्मचारी का अधिकार है। उसकी मृत्यु होने पर आश्रित उसे प्राप्त करने का अधिकारी है। कोर्ट ने यह आदेश मोहम्मद शमीम की याचिका स्वीकार करते हुए दिया है।
याचिका में लोक निर्माण विभाग द्वारा याची के दिवंगत पिता के सेवानिवृत्ति लाभ से सेवाकाल के बकाया की वसूली के आदेश को चुनौती दी गई थी। याचिका के अनुसार याची के पिता लोक निर्माण विभाग कानपुर नगर में दैनिक वेतन पर बेलदार थे। 2010 में उनकी सेवा नियमित हो गई। इससे पहले याची के पिता को विभाग ने एक अन्य याचिका में हुए आदेश के अनुपालन में न्यूनतम वेतन स्कीम के तहत दो लाख छह हजार 656 रुपये प्रदान किए थे। सेवाकाल में उनकी मृत्यु होने पर याची की आश्रित कोटे से मेठ पद पर नियुक्ति हो गई। उसके बाद याची ने पिता के सेवानिवृति लाभ व ग्रेच्युटी के लिए प्रार्थना पत्र दिया। विभाग ने सेवानिवृति लाभ से न्यूनतम वेतन स्कीम के तहत दो लाख छह हजार 656 रुपये की वसूली करते हुए शेष धनराशि प्रदान करने का आदेश किया था।
विभाग के इस वसूली आदेश को याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए स्पष्ट किया कि मृतक कर्मचारी के किसी भी बकाया की वसूली उसके आश्रित से नहीं की जा सकती। कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग का वसूली आदेश रद्द करते हुए मृतक कर्मचारी के समस्त सेवानिवृति लाभ व ग्रेच्युटी की संपूर्ण धनराशि का भुगतान 30 दिन में याची को करने का निर्देश दिया।