पेंशन प्रणाली में बदलाव पर अभी कोई फैसला नहीं, सभी हितधारकों से विचार विमर्श की प्रक्रिया गतिमान
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नई दिल्ली । वित्त मंत्रालय ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के लिए मौजूदा पेंशन प्रणाली एनपीएस की समीक्षा के लिए गठित समिति ने अभी तक अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप नहीं दिया है। मंत्रालय ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि समिति संबंधित हितधारकों के साथ विचार-विमर्श की प्रक्रिया में है और अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है।
वित्त मंत्रालय ने बीते अप्रैल में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) की मौजूदा रूपरेखा और संरचना में जरूरी बदलाव के बारे में सुझाव देने के लिए वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन की अध्यक्षता में यह समिति गठित की थी।
यह समिति एनपीएस के दायरे में आने वाले सरकारी कर्मचारियों के पेंशन लाभों को बेहतर करने के लिए जरूरी उपायों के बारे में सुझाव देगी। एनपीएस को जनवरी 2004 के बाद केंद्र सरकार में शामिल होने वाले सशस्त्रत्त् बलों के कर्मचारियों को छोड़कर सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू किया गया है। पिछले कुछ महीनों में कई राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू करने का फैसला किया है। अन्य कर्मचारी संगठनों ने भी इसकी मांग उठाई है।
NPS : अंतिम वेतन का 40 से 45 फीसदी तक न्यूनतम निश्चित पेंशन देने के नए प्रस्ताव पर हो रहा काम
नई दिल्ली । सरकारी कर्मचारियों के लिए केंद्र सरकार नेशनल पेंशन सिस्टम के नियमों में बदलाव कर सकती है। बताया जा रहा है कि कर्मचारियों को 40 से 45 फीसदी तक न्यूनतम निश्चित पेंशन देने के नए प्रस्ताव पर काम किया जा रहा है। इसके तहत सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति से पहले जो अंतिम वेतन मिलेगा, उसके आधार न्यूनतम निश्चित पेंशन तय होगी।
गौरतलब है कि अप्रैल महीने में केंद्र सरकार ने पेंशन सिस्टम की समीक्षा करने के लिए एक समिति का गठन किया था। नई पेंशन स्कीम को साल 2004 में लागू किया गया था। उससे पहलेतक सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी के वेतन के हिसाब से पेंशन बनती थी लेकिन फिर इसे बंद करके नई पेंशन स्कीम लागू कर दी गई थी।
दिया था आश्वासन
इससे पहले 24 मार्च को संसद में फाइनेंस बिल पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई पेंशन स्कीम की समीक्षा करने की बात कही थी। इसके लिए छह अप्रैल को समिति बनाई गई। अधिकारियों ने कहा कि वे एनपीएस के नियमों में बदलाव पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार पुरानी पेंशन योजना की तरफ नहीं लौटेगी।
दोनों पेंशन स्कीम में यह है अंतर.....
मौजूदा एनपीएस में कर्मचारियों को बेसिक सैलेरी का 10% योगदान करना होता है और 14% योगदान सरकार देती है। इसमें पेंशन कुल कॉरपस पर मिलने वाले मार्केट रिटर्न पर निर्भर करता है जो कि सरकारी प्रतिभूतियों और इक्विटी मे निवेश से मिलता है। शेयर बाजार के प्रदर्शन के आधार पर पेंशन राशि कम-ज्यादा हो सकती है। जबकि ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारी के रिटायरमेंट से पहले आखिरी सैलेरी पर 50 फीसदी का फिक्स्ड पेंशन मिलता है। यही वजह है कि कई राज्यों में पुरानी पेंशन स्कीम की मांग बढ़ी है।