इरडा ने उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी से बचाने और क्लेम को और ज्यादा आसान करने के लिए पॉलिसी खरीदने में केवाईसी दस्तावेज को अनिवार्य कर दिया है। नियामक ने इसके अलावा कई अन्य नियमों में भी बदलाव किया है। बीमा नियामक इरडा ने कहा है कि नए बदलाव जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा, वाहन बीमा और आवास बीमा समेत अन्य बीमा पर पॉलिसी पर भी लागू होंगे।
बीमा नियामक ने कंपनियों को निर्देश देते हुए कहा है कि बिना केवाईसी दस्तावेजों के किसी भी तरह की पॉलिसी न बेचें। इसके अलावा मौजूदा पॉलिसी में किसी तरह के बदलाव से बचें। मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कुछ ग्राहकों ने अपनी बीमा कंपनी और बीमा नियामक से धोखाधड़ी की शिकायतें की हैं।
ठगी बढ़ी तो सख्त हुए नियम
इसके तहत ग्राहकों से टॉपअप कराने, बीमा कवर बढ़ाने समेत कई अन्य फायदों का लालच देकर ठगी करने की कोशिश की गई है। इसके बाद नियामक ने कदम उठाते हुए बीमा पॉलिसी खरीदने के नियमों को सख्त कर दिया है। केवाईसी दस्तावेज में बीमा कंपनी को आधार कार्ड, पैन कार्ड, चुनाव पहचान पत्र, पासपोर्ट, आवास प्रमाण पत्र, रसोई गैस कनेक्शन का बिल या बिजली बिल दे सकते हैं।
मानसिक बीमारी का कवर जरूरी
बीमा नियामक ने एक और अहम कदम उठाते हुए स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी से जुड़ी कंपनियों से कहा कि वह हर हाल में स्वास्थ्य बीमा में मानसिक बीमारी का कवर भी जरूर शामिल करें। इसके साथ ही इरडा ने यह भी कहा है कि कंपनियां मानसिक बीमा से जुड़े क्लेम को मना नहीं कर सकती हैं। इसके अलावा नियामक ने ग्राहकों को स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदते समय इस मानसिक बीमा के कवर की गहरी जांच-परख करें।
केवाईसी के फायदे
1. पॉलिसी में बदलाव के नाम पर धोखाधड़ी पर अंकुश लगेगा
2. क्लेम के समय कंपनियां नाम गलत होने का बहाना नहीं कर पाएंगी
3. पॉलिसी फॉर्म में दिए विवरण और केवाईसी में किसी अंतर पर कंपनियां भी जिम्मेदार होंगी