अनुसूचित जनजाति में शादी से ही एसटी का दर्जा नहीं : हाईकोर्ट
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सेवा संबंधी एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दोहराते हुए कहा है कि अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के व्यक्ति से शादी करने मात्र से किसी को इस वर्ग का दर्जा प्राप्त नहीं हो जाता है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय की एकल पीठ ने लक्ष्मी तोमर की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
याची का कहना था कि उसके माता-पिता सामान्य वर्ग से थे लेकिन उसका विवाह अनुसूचित जनजाति वर्ग में हुआ। पति की जाति के आधार पर उसे भी अनुसूचित जाति वर्ग का प्रमाण पत्र मिल गया। बताया कि वह एफसीआई में असिस्टेंट ग्रेड-2 पर नौकरी कर रही थी। हालांकि जाति संबंधी उसके प्रमाण पत्र को न मानते हुए एफसीआई ने उसे असिस्टेंट ग्रेड- 3 पर पदावनत कर दिया। अपने खिलाफ विभाग के इसी आदेश को याची ने चुनौती दी थी। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दोहराते हुए कहा कि याची के निलंबन अवधि को उसके बिना वेतन के सेवा काल में जोड़ा जाना चाहिए।