दिल्ली नगर निगम के एक मामले पर अहम टिप्पणी, सेवानिवृत्त कर्मचारी को बिना देरी लाभ देने के निर्देश
पेंशन सम्मान से जीने का जरिया : कैट
नई दिल्ली। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने कहा कि ने पेंशन कर्मचारी का न सिर्फ अधिकार है, बल्कि सेवानिवृत्ति के बाद सम्मान के साथ जीने का जरिया भी है।
पेंशन और सेवानिवृत्ति के अन्य लाभ बिना किसी देरी के कर्मचारियों को मिलने चाहिए। उत्तरी दिल्ली नगर निगम से सेवानिवृत्त होने के तीन साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी एक माली को पेंशन और अन्य लाभ नहीं दिए गए। इस मामले में न्यायाधिकरण के सदस्य मोहम्मद जमशेद ने यह अहम फैसला दिया है। उन्होंने कहा, 'तथ्यों से साफ है कि यह पेंशनभोगी के अधिकार का मामला है। ऐसे में नियमित पेंशन का भुगतान बिना किसी देरी के होने चाहिए। यहां यह उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है कि कर्मचारियों के वेतन और पेंशन का भुगतान राजकोष से प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिए।
भुगतान न करना गंभीर मामला :
न्यायाधिकरण ने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारी को पेंशन और अन्य लाभ का भुगतान न करना गंभीर मामला है। इस पर निगम को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
यह है मामला : उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एकीकृत से पहले) के बागवानी विभाग से महिपाल दिसंबर, 2019 में सेवानिवृत्त हो गए। करीब दो साल तक पेंशन और अन्य लाभ नहीं दिए जाने पर उन्होंने अधिवक्ता अनिल सिंघल के माध्यम से केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में याचिका दाखिल की। अधिवक्ता सिंघल ने बताया कि सेवानिवृत्ति उनके मुवक्किल को न तो पेंशन दी जा रही है और न ही अन्य लाभ ।
चार सप्ताह में भुगतान करें
न्यायाधिकरण ने निगम को आदेश दिया है कि वह चार सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता के पेंशन शुरू करे। साथ ही जीपीएफ, ग्रेच्युटि आदि का भी करे।
एमसीडी ने कहा- आर्थिक तंगी के कारण भुगतान रुका
नगर निगम की ओर से न्यायाधिकरण को बताया गया था कि खराब आर्थिक स्थिति के चलते याचिकाकर्ता को समय से भुगतान नहीं किया जा सका। इस पर पीठ ने सर्वोच्च न्यायालय के एक पूर्व के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि कर्मचारियों को सेवानिवृत्त के तुरंत बाद पेंशन, पीएफ और अन्य लाभ का भुगतान होना चाहिए।