शादीशुदा पुत्री को परिवार की परिभाषा से अलग नहीं किया जा सकता : हाईकोर्ट
विवाहित पुत्री को परिवार का अंग न मानने वाले के आदेश को किया निरस्त
प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परिवार की परिभाषा में शादीशुदा पुत्री को शामिल नहीं करने संबंधी मेरठ के सीएमओ के आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि विवाहित पुत्री भी परिवार की परिभाषा में आती है।
इस आधार पर मृतक आश्रित कोटे के तहत पिता की जगह पर विवाहित पुत्री को नौकरी देने का आदेश जारी किया गया है।
हाईकोर्ट ने यह आदेश मेरठ स्थित 119 जे ब्लॉक कॉलोनी मुहल्ला खजुरी, दरवाजा परीक्षितगढ़ की अरुणा की याचिका को सुनकर दिया है। अरुणा ने चीफ मेडिकल ऑफिसर के 11 दिसंबर 2018 के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इसमें सीएमओ ने मृतक आश्रित कोटे में पिता की जगह नौकरी के अरुणा के आवेदन को खारिज कर दिया था।