धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम और ईसाई बनने पर SC आरक्षण नहीं : केंद्र सरकार की दलील
1950 का संविधान आदेश किसी असंवैधनिकता से ग्रस्त नहीं है। क्योंकि, छुआछूत जैसी दमनकारी व्यवस्था कुछ हिंदू जातियों को पिछड़ेपन की ओर ले जाती है, जबकि ईसाई और इस्लामी समाज में ऐसी व्यवस्था नहीं है। यही कारण है कि ईसाई और मुस्लिम समाज को इससे बाहर रखा गया है। - सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार
नई दिल्ली । धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम और ईसाई बनने वाले अनुसूचित जाति के लोगों को एससी की तरह आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर यह बात कही।
सरकार ने यह शपथपत्र एक जनहित याचिका के जवाब में दाखिल किया, जिसमें मांग की गई है कि आरक्षण का लाभ ईसाई और मुसलमान बने दलितों को भी मिले। याचिका जस्टिस रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट के आलोक में दायर की गई है, जिसने यह अध्ययन किया था कि अन्य धर्मों के दलित भी ऐसी ही अयोग्यता झेलते हैं, जैसे हिंदू दलित अनुभव करते हैं।
याचिका में कहा गया है कि एससी-एसटी आयोग ने भी इस तरह की राय व्यक्त की है। इस याचिका पर जस्टिस एसके कौल की पीठ ने 30 अगस्त को केंद्र सरकार से जवाब मांगा था।
याचिकाकर्ता का तर्क
जस्टिस रंगनाथ मिश्रा आयोग ने कहा था, अन्य धर्मों के दलित भी वैसी ही अयोग्यता झेलते हैं, जैसे हिंदू दलित अनुभव करते हैं
1950 का संविधान आदेश भेदभाव वाला है, यह ईसाई बनने वाले दलितों को एससी का दर्जा नहीं देता
सरकार का पक्ष
मिश्रा आयोग की रिपोर्ट फील्ड स्टडी पर आधारित नहीं थी। आयोग की राय बेहद संकुचित थी। इसमें यह ध्यान नहीं दिया गया कि मौजूदा एससी सूची में इन्हें जोड़ा गया तो उसका क्या प्रभाव होगा