आश्रित परिवार की देखरेख न करने पर ले सकते हैं अनुकंपा नियुक्ति वापस, हाईकोर्ट ने तीन माह में उचित निर्णय लेने का दिया आदेश
प्रयागराज, । इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) प्रयागराज को आश्रित कोटे में नियुक्त सदस्य द्वारा अन्य सदस्यों की देखरेख की जिम्मेदारी पूरी न करने के मामले में तीन माह में उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि सभी आश्रितों के हित पूरे नहीं करने की स्थिति हो तो वह आश्रित विपक्षी की नियुक्ति को वापस भी ले सकता है।
हाई कोर्ट ने याचिका को निस्तारित करते हुए आदेश दिया : याचियों का कहना था कि विपक्षी को इस आश्वासन पर नियुक्ति दी गई थी कि वह याचियों की भी देखभाल करेगी। हालांकि वह अपने वायदे का पालन नहीं कर रही है। इस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने प्रयागराज की सुधा शर्मा व अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा- याचीगण रेलवे के अधिकारी से शिकायत करें : याचिका पर अधिवक्ता एआर शर्मा व भारत सरकार की तरफ से अधिवक्ता प्रमोद कुमार सिंह ने पक्ष रखा। याचीगण का कहना था कि उनके पिता रेलवे कर्मचारी थे। सेवाकाल में मौत के कारण विपक्षी की आश्रित कोटे में नियुक्ति की गई। याची वृद्ध है। विपक्षी ने उनकी देखभाल करने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा आश्रित की नियुक्ति वारिसों के लाभ के लिए की जाती है ताकि अचानक आई विपत्ति से उबर सके। कोर्ट ने कहा कि याचीगण रेलवे अधिकारी को अपनी शिकायत लिखें और वह उनकी परेशानियों पर विचार कर निर्णय लें।