Income Tax : सरकार खत्म कर सकती है नया टैक्स रिजीम, जानिए क्यों तीन साल में ही खींचना पड़ेगा कदम?
सरकार ने करदाताओं को राहत देने के लिए तीन साल पहले दोहरे टैक्स स्लैब का प्रावधान किया था. नए टैक्स रिजीम में आयकर छूट के विकल्पों को खत्म कर टैक्स की दरें घटा दी थीं, लेकिन इसका फायदा नहीं दिखा और अभी तक नए रिजीम को अपनाने वाले करदाताओं की संख्या न के बराबर है. इसे ध्यान में रखते हुए सरकार इस व्यवस्था को खत्म करने पर विचार कर रही है.
🔴 नए टैक्स रेजिम में किसी भी निवेश पर टैक्स छूट का लाभ मिलना बंद हो जाता है.
🔴 नए टैक्स रेजिम के तहत करदाताओं को 2.5 लाख के ऊपर टैक्स देना पड़ता है.
🔴 पुराने टैक्स रेजिम में 5 लाख रुपये तक की आमदनी टैक्स फ्री रहती है.
नई दिल्ली. अगले साल 1 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट में सरकार पर्सनल इनकम टैक्स को लेकर बड़ी घोषणा कर सकती है. मामले से जुड़े एक उच्च अधिकारी का कहना है कि वित्तवर्ष 2023-24 के बजट में नए टैक्स रिजीम को समाप्त करने की घोषणा हो सकती है. इसके तहत करदाताओं को कम टैक्स की दर का विकल्प मिलता है, लेकिन टैक्स छूट वाले निवेश विकल्पों का लाभ खत्म हो जाता है.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस के मुताबिक, मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि सरकार ने वित्तवर्ष 2020-21 में नया टैक्स रिजीम लागू किया था. इसमें करदाताओं को कम दर वाले टैक्स स्लैब का विकल्प मिलता है. हालांकि, इस रिजीम को अपनाने वाले करदाताओं को किसी भी निवेश पर टैक्स छूट का लाभ मिलना बंद हो जाता है. अब जबकि नया टैक्स रिजीम शुरू हुए तीन साल बीतने को हैं, लेकिन ज्यादातर करदाताओं ने पुराने टैक्स स्लैब को ही अपना रखा है.
वित्त मंत्रालय अभी बजट की तैयारियों में लगा है और आयकर से जुड़े नियमों की समीक्षा भी कर रहा है. अधिकारी का कहना है कि टैक्स को लेकर सरकार का मकसद करदाताओं पर बोझ को घटाना है. हमने नया टैक्स रिजीम इसीलिए लागू किया था, ताकि कम टैक्स ब्रेकेट वाले करदाताओं ज्यादा बोझ न आने पाए.
क्यों फेल हुआ नया टैक्स रेजिम?
नए टैक्स रिजीम के तहत करदाताओं को 2.5 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी पर टैक्स देना पड़ता है. वहीं, पुराने टैक्स रिजीम में 5 लाख रुपये तक की आमदनी टैक्स फ्री रहती है. यही सबसे बड़ा कारण है जो करदाता पुराने टैक्स रिजीम को अपनाने पर ही जोर देते हैं. हर साल आयकर रिटर्न भरने वाले करीब 75 फीसदी करदाता 5 लाख से कम आमदनी वाले दायरे में आते हैं और उन्हें 5 लाख रुपये तक टैक्स छूट मिल जाती है. दूसरी ओर, नए टैक्स रिजीम में भले ही टैक्स की दर कम हो लेकिन इसमें छूट बिलकुल भी नहीं मिलती है. इनकम टैक्स वेब पोर्टल क्लीयर पर इस साल रिटर्न भरने वाले महज 1 फीसदी करदाताओं ने ही नया टैक्स रेजिम अपनाया था.
कुछ खास बनाए सरकार
उच्चाधिकारी ने बताया कि सरकार को स्लैब घटाने के साथ टैक्स छूट की सीमा को लेकर कुछ खास प्लान बनाना होगा. इससे लोगों को भी फायदा होगा और ज्यादा करदाता रिटर्न भरेंगे तो सरकारी खजाने में भी टैक्स की वसूली बढ़ेगी. दरअसल, पुराने टैक्स रेजिम में 2.5 से 5 लाख तक तो टैक्स की दर 5 फीसदी है, लेकिन जैसे ही आपकी आमदनी 5 लाख से ऊपर जाएगी टैक्स की दर बढ़कर 20 फीसदी हो जाती है, जो 10 लाख तक यही रहती है. यह किसी भी तरह तर्कसंगत नहीं लगता कि टैक्स की दर 5 फीसदी से अचानक बढ़कर 20 फीसदी पहुंच जाए.
टैक्स की दर में कटौती करे सरकार
टैक्स एक्सपर्ट का कहना है कि सरकार को पुराने टैक्स रिजीम को और भी आकर्षक बनाना चाहिए. अगर सरकार टैक्स छूट वाले विकल्पों को खत्म कर रही है तो उसे टैक्स की दर नीचे लानी होगी. बेहतर होगा कि 5 से 10 लाख रुपये की आमदनी को 15 फीसदी की टैक्स दर से नीचे लाना चाहिए. 10 से 15 लाख रुपये की आमदनी 20 फीसदी टैक्स स्लैब से नीचे होनी चाहिए, जबकि 15 लाख से ज्यादा की आमदनी को 30 फीसदी के दायरे में रखना चाहिए.