प्रोन्नति ठुकराई तो आगे नहीं मिलेगी दोबारा पदोन्नति
एक बार इनकार किया तो दोबारा नहीं मिलेगा प्रमोशन, अच्छी पोस्टिंग के भी रास्ते होंगे बंद
तबादले के डर से पदोन्नति लेने से इनकार करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों पर शासन ने सख्त रवैया अख्तियार किया है। ऐसे कर्मियों या अफसरों को भविष्य में महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती नहीं दी जाएगी। यही नहीं, पदोन्नति के सारे रास्ते भी बंद हो जाएंगे। ऐसे कार्मिकों से शपथ-पत्र लिया जाएगा कि वे भविष्य में पदोन्नति की मांग नहीं करेंगे। मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने बृहस्पतिवार को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
दरअसल, कुछ विभागों में पदोन्नति होने पर कर्मचारियों व अधिकारियों को स्थानांतरित किया जाता है। शासन के संज्ञान में आया है कि तबादले के डर से कार्मिक पदोन्नति लेने से इनकार कर देते हैं। फिर भविष्य में अपनी सुविधा के अनुसार पदोन्नति की मांग करते हैं। इस रवैये पर अंकुश लगाने के लिए मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि ऐसे कर्मचारियों व अधिकारियों को भविष्य में होने वाली पदोन्नति के लिए पात्रता की सूची में भी शामिल नहीं किया जाएगा। मुख्य सचिव ने नियुक्ति प्राधिकारी को इसके कारणों का विश्लेषण करते हुए ऐसे कार्मिकों को जनहित से जुड़े, संवेदनशील या महत्वपूर्ण पदों पर पोस्टिंग देने पर स्वविवेक से निर्णय लेने को कहा है।
लखनऊ : सरकारी नौकरी करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों ने एक बार पदोन्नति से इंकार किया तो उसे भविष्य में दोबारा पदोन्नति नहीं दी जाएगी। इतना ही नहीं ऐसे कार्मिकों से शपथ पत्र भी लिया जाएगा कि वे भविष्य में इसके लिए दावा नहीं करेंगे।
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने कार्मिक विभाग का यह शासनादेश गुरुवार को जारी करते हुए सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश भेज दिया है। इसमें कहा गया है कि शासन की जानकारी में आया है कि कुछ कार्मिक पदोन्न्ति से इंकार करते हुए नया कार्यभार ग्रहण नहीं करते हैं या फिर दोबारा अपने हिसाब से इसकी मांग करते हैं। इस प्रकार के मामलों में शासन की कोई स्थापित व्यवस्था न होने के कारण नियुक्ति प्राधिकारियों को फैसला लेने में असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है।
इसीलिए व्यवस्था निर्धारित करते हुए यह फैसला किया गया है कि एक बार इंकार करने वालों को भविष्य में पदोन्नति के लिए बनने वाली वरिष्ठता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा। जिन सरकारी कार्मिकों द्वारा पदोन्नति से इंकार किया जाता है उनके संबंध में नियुक्ति प्राधिकारी इसके कारणों का स्वयं विश्लेषण करेगा। इसके आधार पर वह स्वयं फैसला करेगा कि संबंधित कार्मिक को भविष्य में जनहित में संवदेनशील और महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया जाए या न किया जाए।