अनुकंपा पर नौकरी रियायत, नहीं मान सकते आधिकार : सुप्रीम कोर्ट
कहा- प्रभावित परिवार को सक्षम बनाना है उद्देश्य, हाईकोर्ट के फैसले को पलटा
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दो-टूक कहा, अनुकंपा पर मिली नौकरी सिर्फ रियायत है, इसे अधिकार नहीं माना जा सकता। इसका उद्देश्य, प्रभावित परिवार को एकदम से आए किसी संकट से निपटने में सक्षम बनाना है। शीर्ष अदालत ने इस टिप्पणी के साथ केरल हाईकोर्ट की एकल पीठ के फैसले को दरकिनार कर दिया। हाईकोर्ट ने फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स त्रावणकोर लि. व अन्य को एक महिला को अनुकंपा नौकरी देने का आदेश दिया था।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने आदेश में लिखा, महिला के पिता कंपनी में नौकरी करते थे। अप्रैल 1995 में ड्यूटी के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। उस वक्त उनकी पत्नी केरल के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत थी। लिहाजा, पत्नी को अनुकंपा के आधार पर नौकरी नहीं मिली। लेकिन, आज 24 वर्ष बाद बेटी ने अनुकंपा नौकरी की मांग की है। पीठ ने आदेश में कहा, कर्मचारी की मौत के 24 साल बाद प्रतिवादी अनुकंपा नौकरी के लिए पात्र नहीं होगा।
आश्रितों में नहीं था नाम, फिर भी चाहिए अनुकंपा नौकरी
पीठ ने इस तथ्य पर गौर किया कि नौकरी मांग रही महिला का नाम परिवार के आश्रितों की सूची में नहीं था जबकि, अनुकंपा आधारित नौकरी सिर्फ आश्रितों को दी जाती है। इस मामले में कर्मचारी की मौत के वक्त बेटी नाबालिग थी और उसकी मां कमा रही थी। बेटी ने पिता की मौत के 14 साल बाद बालिग होने पर अनुकंपा नौकरी को अधिकार के रूप में बताते हुए इसकी मांग के लिए आवेदन किया।
पीठ ने मार्च में आए हाईकोर्ट की खंडपीठ व एकल पीठ के फैसलों को खारिज करते हुए कहा, महिला की नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश त्रुटिपूर्ण है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अगर आवेदक को नौकरी दी गई तो यह अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने की मूल धारणा के खिलाफ होगा।
फरवरी, 2018 में भी एक बार खारिज हो चुकी है संबंधित याचिका
सभी को मिले समान अवसर
अनुकंपा नौकरी पर नियुक्ति के कानून के अनुसार, सभी उम्मीदवारों को सभी सरकारी रिक्तियों के लिए समान अवसर प्रदान किया जाना चाहिए। जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के तहत अनिवार्य है।
संविधान का अनुच्छेद 14 समानता व अनुच्छेद 16 सार्वजनिक रोजगार के मामलों में अवसर की समानता से संबंधित है।
यह अपवाद
पीठ ने कहा, हालांकि, एक मृत कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति की पेशकश उक्त मानदंडों का अपवाद है। अनुकंपा का आधार एक रियायत है और इसे अधिकार के तौर पर नहीं मांगा जा सकता।
पहले भी सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका ऐसे मामले
पीठ ने संविधान और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि अनुकंपा आधारित नौकरी की व्यवस्था उन परिवारों के लिए है.
जो घर के अकेले कामकाजी सदस्य के अचानक नहीं रहने से विपत्ति में आ जाते हैं। जिनके आश्रितों के पास जीवनयापन का कोई जरिया नहीं बचता।
कोर्ट आर्डर