सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेगुलेशन को लेकर केंद्र सरकार बनायेगी फ्रेमवर्क, हाईकोर्ट में दी जानकारी
सोशल मीडिया पर लगेगा अंकुश नागरिकों पर भी लागू होगा कानून
केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में बताया, वर्तमान मामलों पर लागू नहीं
नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को रेगुलेट करने के लिए 'देर-सवेर' एक रूपरेखा पेश करेगी। इसमें यूजर्स को इन प्लेटफॉर्म से प्रतिबंधित करना भी शामिल होगा। केंद्र ने कहा कि रूपरेखा प्रस्तावित है। इसलिए सोशल मीडिया अकाउंट के निलंबन के मौजूदा मामलों को मौजूदा नियमों के अनुसार ही तय करना होगा। यह दलील केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने जस्टिस यशवंत वर्मा के समक्ष दी। जस्टिस शर्मा ट्विटर यूजर्स सहित कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के उपयोगकर्ताओं के खातों के निलंबन के खिलाफ विभिन्न याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई कर रहे थे।
केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता कीर्तिमान सिंह ने कहा, “हमने आपके (अंतिम) आदेश के संदर्भ में विचार किया है। संशोधन देर-सवेर होगा, लेकिन हम वास्तव में नहीं जानते (कब)। यह प्रस्तावित है और (इसलिए) इन मामलों को शायद (मौजूदा योजना के अनुसार) तय करना होगा।” केंद्र को बाद के घटनाक्रमों से अवगत कराने के लिए और समय देते हुए, अदालत ने याचिकाओं की सुनवाई 19 दिसंबर तक के लिए टाल दी और कहा, “आप (केंद्र) जिस नियामक अधिकारों को लागू करने का प्रस्ताव रखते हैं, उसके बारे में हम भी जानना चाहेंगे कि हमारे अधिकार क्षेत्र क्या होंगे।’
अदालत ने बुधवार को सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि सोशल मीडिया अकाउंट को निलंबित करने और हटाने की मौजूदा शिकायतों को प्रस्तावित ढांचे के संदर्भ में क्यों नहीं निपटाया जाना चाहिए। उसने कहा कि वह पहले की याचिकाओं पर नई व्यवस्था के प्रभाव को समझना चाहती है। याचिकाओं में वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े की भी एक याचिका शामिल है, जिनके खाते, दो पोस्ट को कथित रूप से री-ट्वीट करने के कारण स्थायी रूप से निलंबित कर दिये गये हैं।
नई दिल्ली। सोशल मीडिया को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार रूपरेखा (फ्रेमवर्क) पेश करेगी। यह फ्रेमवर्क नागरिकों के खाते व सामग्री प्लेटफॉर्म से हटाने के मामलों पर भी लागू होगा। सरकार ने यह जानकारी कई यूजर्स की ओर से सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं की सुनवाई में दी।
हाईकोर्ट ने पिछले महीने सरकार से पूछा था कि क्या वह किसी कानूनी मसौदे पर विचार कर रही है? ऐसा है तो मौजूदा शिकायतों को भी प्रस्तावित फ्रेमवर्क के तहत सुना जाएगा। इससे नए नियमों का प्रभाव भी समझा जा सकेगा। इसके जवाब में जस्टिस यशवंत वर्मा के समक्ष सरकार ने बताया कि वह फ्रेमवर्क बना जरूर रही है, पर इसमें समय लग सकता है। सरकार ने साफ किया कि प्रस्तावित फ्रेमवर्क भावी मामलों के लिए है, इसलिए अभी चल रहे मामलों पर मौजूदा कानून के तहत ही फैसला लेना होगा।
सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सरकार को अतिरिक्त समय दिया और भावी प्रगति पर हाईकोर्ट को सूचित रखने को कहा। अगली सुनवाई भी 19 दिसंबर तक रोक दी गई। याचिकाएं दायर करने वाले यूजर्स में अधिकतर ट्विटर के हैं। इनके अकाउंट ब्लॉक व कमेंट्स डिलीट किए गए थे। इनमें सुप्रीम कोर्ट के वकील संजय हेगड़े भी शामिल हैं, जिनका अकाउंट ट्विटर ने दो री-ट्वीट की वजह से स्थायी रूप से सस्पेंड कर दिया।
साइबर स्पेस में भी नागरिकों के अधिकार, सरकार इनकी संरक्षक
ट्विटर द्वारा ब्लॉक एक अकाउंट के मामले में केंद्र ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बीच रास्ते में नहीं छोड़ा जा सकता। नागरिकों को संविधान से मूल अधिकार मिले हैं। सोशल मीडिया कंपनियों को अपने तकनीकी आधुनिकीकरण के बीच इनका ध्यान रखना ही होगा। यह कंपनियां खुद ही सभी मामलों में यूजर्स के अकाउंट ब्लॉक नहीं कर सकतीं, न उन्हें प्लेटफॉर्म से हटा सकतीं हैं। साइबर स्पेस में भी नागरिकों के मूल अधिकार हैं और केंद्र सरकार इनकी संरक्षक है।
इन्हीं मामलों में ही ब्लॉक हो सकता है अकाउंट
हाईकोर्ट में केंद्र ने बताया कि किसी नागरिक का सोशल मीडिया अकाउंट केवल देश की संप्रभुता, सुरक्षा, अखंडता, दूसरे देशों से मैत्री संबंध व नागरिक व्यवस्था से जुड़े मामलों और अदालती आदेश पर ही सस्पेंड किए जा सकता है। या फिर यूजर्स अपने अकाउंट से यौन शोषण से जुड़ी सामग्री पोस्ट करे तो उन पर ऐसी कार्रवाई हो सकती है।