यूपी सरकार कर रही विचार, अपनों को संपत्ति देने पर मिल सकती है पंजीकरण शुल्क में भी छूट
◆ सिर्फ स्टांप में छूट से दान विलेख आदि कराने नहीं आ रहे मालिक
◆ एक प्रतिशत पंजीकरण शुल्क लगने से देना पड़ रहा भारी भरकम शुल्क
लखनऊ : राज्य सरकार ने रक्त संबंधी मामलों में दान विलेख ( गिफ्ट डीड ) पर भले ही भारी-भरकम स्टांप ड्यूटी से छूट दे दी है, लेकिन पंजीकरण शुल्क के लगने से संपत्ति के स्वामी अपनों के नाम संपत्ति की लिखा-पढ़ी करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। ऐसे में सरकार अब एक प्रतिशत निबंधन शुल्क में भी छूट देने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
माना जा रहा है कि पंजीकरण शुल्क से छूट के बाद ही पारिवारिक से सदस्यों के बीच संपत्ति के बंटवारे के लिए संबंधित सदस्यों के पक्ष में दान विलेख, बंटवारा पत्र व पारिवारिक व्यवस्थापन/समझौता ज्ञापन निष्पादन के मामलों में तेजी आएगी। सरकार ने रक्त संबंधी मामलों में स्टांप ड्यूटी से छूट देने का अहम निर्णय किया जिसका वर्षों से लोगों को इंतजार था।
परिवार में संपत्ति के बंटवारे संबंधी मामलों में बढ़ती मुकदमेबाजी को देखते हुए सरकार ने रक्त संबंधियों (पिता, माता, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, पुत्रवधु, दामाद, सगा भाई, सगी बहन, पुत्र व पुत्री का बेटा-बेटी) में संपत्ति को दान करने जैसे प्रकरणों में स्टाम्प ड्यूटी को घटाकर सिर्फ पांच हजार रुपये करने का निर्णय किया है। ऐसे में संपत्ति चाहे एक लाख की हो या फिर एक करोड़ रुपये मूल्य की, उसे अपनों को देने के लिए दान विलेख पर स्टाम्प ड्यूटी सिर्फ पांच हजार रुपये ही लग रही है जबकि पहले संपत्ति के विक्रय विलेख की रजिस्ट्री की तरह संपत्ति के मूल्य का आठ प्रतिशत तक स्टांप ड्यूटी देनी पड़ती थी।
छह हजार रुपये हो सकता है दान विलेख का खर्चा
लखनऊ: सरकार को उम्मीद थी कि पंजीकरण शुल्क में से से ज्यादा दान विलेख छूट होंगे, लेकिन अभी उप निबंधक कार्यालयों में ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है। लखनऊ के सहायक महानिरीक्षक निबंधन सतीश त्रिपाठी बताते हैं कि दान विलेख कराने वालों की संख्या में फिलहाल कोई खास इजाफा नहीं हुआ है। जानकारों का कहना है कि शुल्क में छूट के बाद भी दान विलेख कराने वालों के आगे न आने का एकमात्र कारण एक प्रतिशत पंजीकरण शुल्क है। एक लाख या एक करोड़ रुपये की संपत्ति पर अब शुल्क तो पांच हजार रुपये ही है, लेकिन एक करोड़ रुपये की संपत्ति के दान विलेख पर आज भी पंजीकरण शुल्क एक लाख रुपये देना होता है।
इस संबंध में स्टांप व पंजीयन मंत्री रवीन्द्र जायसवाल का कहना है कि संपत्ति के स्वामी की मृत्यु के बाद वसीयत के अनुसार परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति बंटवारे के मामलों में अक्सर होने वाले विवाद और मुकदमेबाजी को खत्म करने के लिए ही सरकार ने रक्त संबंध में दान विलेख आदि पर शुल्क को पांच हजार रुपये किया है। इससे 200 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे का अनुमान है लेकिन सरकार, में प्रेम-सौहार्द बढ़ाने को ही अपना मुनाफा मान रही है। पंजीकरण शुल्क में भी छूट देने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। प्रोसेसिंग फीस के तौर पर एक हजार रुपये लेने की व्यवस्था हो सकती है। ऐसे में किसी भी मूल्य की संपत्ति के दान विलेख पर मात्र छह हजार रुपये का ही खर्चा आएगा।