सरकारी अधिकारियों / कर्मचारियों के लिए स्थानान्तरण सत्र वर्ष 2022-23 हेतु नीति अनुमोदित
उत्तर प्रदेश सरकार की तबादला नीति को योगी कैबिनेट की मंजूरी, 30 जून तक हो सकेंगे ट्रांसफर
यूपी: स्थानांतरण नीति को मंजूरी, जिलों में तीन साल और मंडल में सात साल से जमे अफसर हटेंगे
योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए 2022-23 की तबादला नीति को मंजूरी दे दी है। योगी कैबिनेट की मीटिंग में ट्रांसफर पॉलिसी को मंजूरी दी गई है।
लखनऊ. योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए 2022-23 की तबादला नीति को मंजूरी दे दी है जिसके तहत 30 जून तक ट्रांसफर किए जा सकेंगे। योगी कैबिनेट की मंगलवार को लखनऊ में आयोजित मीटिंग में ट्रांसफर पॉलिसी को मंजूरी दी गई है। नीति की मुख्य बात ये है कि जनपद यानी जिलों में तीन साल और मंडल में सात साल का कार्यकाल पूरा कर चुके कर्मचारियों और अधिकारियों का तबादला हो सकता है।
कैबिनेट मीटिंग के बाद सरकार के बयान में कहा गया है कि तबादला नीति सिर्फ साल 2022-23 के लिए प्रभावी है और इसके तहत 30 जून तक ट्रांसफर-पोस्टिंग किया जा सकता है। सरकार ने समूह क और ख वर्ग के अधिकारियों के लिए जिला में 3 साल और मंडल में 7 साल की सेवा को ट्रांसफर का आधार बनाया है। साथ ही जिले से समूह क और ख के अधिकारियों का तबादला उनकी कुल संख्या के 20 फीसदी से अधिक ना हो। जबकि समूह ग और घ के लिए यह अनुपात जिले में उपलब्ध कर्मचारियों की संख्या के 10 फीसदी तय किया गया है।
यूपी की तबादला नीति में समूह ख और ग के अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर में जहां तक संभव हो सके मेरिट के आधार पर ऑनलाइन ट्रांसफर सिस्टम का इस्तेमाल करने का प्रावधान किया गया है जिससे किसी भी तरह की धांधली और मनमानी पर रोक लग सके। केंद्र सरकार की घोषित आकांक्षी जिला योजना के मद्देनजर भी यूपी की तबादला नीति में प्रावधान किया गया है।
प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले 30 जून तक किए जाएंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में स्थानांतरण सत्र-2022-23 के लिए तबादला नीति को मंजूरी दी गई। समूह ख और ग के कार्मिकों का तबादला यथासंभव मेरिट बेस्ड ऑनलाइन ट्रांसफर सिस्टम के आधार पर किया जाएगा।
प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि तबादला नीति के तहत एक ही जिले में 3 वर्ष और मंडल में 7 वर्ष पूरे करने वाले समूह क और ख के अधिकारियों के तबादले किए जाएंगे। समूह क और ख के तबादले संवर्गवार कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों की संख्या के सापेक्ष अधिकतम 20 प्रतिशत और समूह ग व घ के संवर्गवार कार्मिकों के तबादले अधिकतम 10 प्रतिशत की सीमा तक किए जा सकेंगे। उन्होंने बताया कि समूह ग के कार्मिकों के पटल परिवर्तन और क्षेत्र परिवर्तन को लेकर 13 मई, 2022 को जारी आदेश का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
रिक्त पदों को भरा जाएगा
बुंदेलखंड के सभी जिलों में रिक्त पदों पर तैनाती की जाएगी। इसी प्रकार तबादला नीति के जरिए भारत सरकार की ओर से घोषित आकांक्षी जिले सोनभद्र, बहराइच, श्रावस्ती, फतेहपुर, चित्रकूट, चंदौली और सिद्धार्थनगर में भी रिक्त पदों को भरा जाएगा।
लखनऊ । राज्य सरकार ने अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए वर्ष 2022-23 की स्थानांतरण नीति को मंजूरी दे दी है। विभागाध्यक्ष अपने मंत्री की अनुमति से 30 जून तक तबादले कर सकेंगे। जिलों में तीन साल और मंडल में सात साल की सेवा पूरी करने वाले समूह ‘क’ व ‘ख’ के अधिकारियों को हटाकर दूसरे स्थानों को भेजा जाएगा।
कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में कार्मिक विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। नई स्थानांतरण नीति को केवल एक साल के लिए मंजूरी दी गई है। मतलब साफ है कि अगले साल के लिए अलग नीति आएगी। विभागों में तैनात समूह ‘क’ व ‘ख’ संवर्ग के कुल अधिकारियों में अधिकतम 20 फीसदी ही स्थानांतरित किए जाएंगे। समूह ‘ग’ व ‘घ’ संवर्ग में यह संख्या अधिकतम 10 फीसदी रखी गई है।
समूह ‘ख’ व ‘ग’ के कर्मियों का स्थानांतरण यथासंभव मेरिट बेस्ड ऑनलाइन व्यवस्था के आधार पर किया जाएगा। समूह ‘ग’ कर्मियों के पटल व क्षेत्र परिवर्तन के लिए 13 मई 2022 को जारी शासनादेश का कड़ाई से पालन कराया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा घोषित आकांक्षी और बुंदेलखंड के सभी जिलों में तैनाती करके संतृप्तीकरण की व्यवस्था की गई है।
दो सत्र रहा शून्य: कोविड काल को देखते हुए यूपी में दो सत्र यानी 2020-2021 और 2021-2022 को शून्य रखा गया। इन दोनों सत्रों में बहुत जरूरी होने पर तबादले किए गए। समूह ‘ग’ व ‘घ’ के अधिकतर कर्मचारियों के तबादले इन दोनों सत्रों में नहीं हुए। शिकायत या फिर अन्य गड़बड़ियों पर इन्हें हटाया गया।नई नीति में विभागाध्यक्षों को मंत्री की अनुमति पर 15 दिनों तक तबादला करने का अधिकार दिया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि कुछ अफसरों के तबादले मुख्यमंत्री की अनुमति पर होंगे।