NPS में तयशुदा लाभ का विकल्प जल्द, अगस्त से शुरू हो सकता है नया नियम
12 फीसदी औसत रिटर्न मिला है एनपीएस में पिछले 12 साल में
1.50 लाख रुपये तक निवेश पर टैक्स छूट धारा 80सी के तहत
50 हजार रुपये की अतिरिक्त टैक्स छूट एनपीएस में निवेश पर
नई दिल्ली : पेंशन नियामक पीएफआरडीए नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के तहत तय रिटर्न यानी मिनिमम अश्योर्ड रिटर्न स्कीम (मार्स) लाने की तैयारी कर रहा है। इसका मकसद एनपीएस को और सुविधाजनक और आकर्षक निवेश विकल्प बनाना है। नियामक इस योजना के लिए सलाहकारों की नियुक्ति करेगा। इसके लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल को लेकर मसौदा प्रस्ताव जारी किया है।
मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए सलाहकारों के लिए सुझाव मांगे गए हैं। हाल ही में पीएफआरडीए के अध्यक्ष सुप्रतिम दास बंद्योपाध्याय ने कहा था कि पेंशन फंड्स और एक्चुरियल फर्मो से बातचीत की जा रही है। मौजूदा समय में पेशन फंड योजनाओं के तहत प्रबंधित किए जा रहे फंड को मार्क टू-मार्केट यानी बाजार के आधार पर देखा जाता है और इसमें कुछ उतार- चढ़ाव होते रहते हैं। ऐसे में इनका मूल्यांकन बाजार की स्थिति को देखकर होता है। इसी से एनपीएस में तय रिटर्न नहीं मिलता है।
पीएफआरडीए कानून के मुताबिक न्यूनतम सुनिश्चित रिटर्न की योजना शुरू करने का विकल्प है। मसौदे के मुताबिक एनपीएस के तहत तय रिटर्न वाली योजना तैयार करने को सलाहकार की नियुक्ति होगी। ऐसी योजना को नियामक से रजिस्टर्ड पेंशन फंड द्वारा पेश करना होगा।
तय रिटर्न के क्या हैं मायने
एनपीएस में मौजूदा समय में तय रिटर्न नहीं मिलता है। सरकारी बॉन्ड और बाजार में निवेश की वजह से इसमें उतार चढ़ाव आता रहता है। पीएफआरडीए ने मिनिमम अश्योर्ड रिटर्न स्कीम (मार्स), की बात की है। इसका मतलब है कि योजना में न्यूनतम तय रिटर्न की गारंटी दी जाएगी। इसके तहत निवेश पर नुकसान होने की स्थिति में उसका बोझ संबंधित कंपनी' उठाएगी। जबकि लाभ होने पर निवेशक यानी • अंशधारक को न्यूनतम तय रिटर्न से अधिक का भुगतान होगा।
कभी भी निवेश
पेंशन फंड नियामक पीएफआरडी ने एनपीएस को आकर्षक बनाने के लिए पिछले कुछ समय में कई कदम उठाए हैं। इसमें एक साल में तय सीमा के भीतर कितनी भी बार राशि जमा कर सकते हैं। पहले केवल हर माह, तिमाही या छमाही या सालाना जमा करने की सुविधा थी।
दो तरह का खाता
एनपीएस में दो तरह का खाता है। जिसे टीयर 1 और टीयर2 कहा जाता है। टीयर खाता अनिवार्य श्रेणी का होता है और सभी तरह की टैक्स छूट इसी पर मिलती है। • जबकि टीयर2 खाता वैकल्पिक श्रेणी का होता है और इसकी सुविधा टीयर 1 खाता रहने पर ही मिलती है। टीयर2 से कभी भी राशि निकाल सकते हैं।