बिना FIR किसी व्यक्ति को थाने में बुलाने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए पुलिस द्वारा किसी भी व्यक्ति को बिना एफआइआर दर्ज हुए थाने बुलाए जाने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता के तहत नोटिस जारी करने के उपरांत ही किसी को थाने पर बुलाया जाए। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि अधीनस्थ पुलिसकर्मी थाना इंचार्ज की अनुमति से ही ऐसी नोटिस जारी कर सकते हैं।
यह आदेश जस्टिस अरविंद कुमार मिश्रा, प्रथम व जस्टिस मनीष माथुर की पीठ ने सरोजनी नाम की एक लड़की के पत्र को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के तौर पर दर्ज करते हुए, पारित किया। कोर्ट ने कहा कि पुलिसकर्मी के महज मौखिक आदेश पर किसी भी व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता व सम्मान को हवा में नहीं उड़ाया जा सकता। सरोजनी नाम की लड़की ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति को पत्र भेज कर शिकायत की थी कि उसके माता- पिता को आठ अप्रैल को महिला थाना, लखनऊ पर फोन कर के बुलाया गया। वहां जाने के बाद उसके माता-पिता को अवैध हिरासत में ले लिया गया है। कहा गया कि पुश्तैनी सम्पत्ति का विवाद उसके माता-पिता व भैया-भाभी के मध्य चल रहा है। इसी विवाद को लेकर उसके माता पिता को बुलाया गया था।
मामले की पहली सुनवाई पर राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि उन्हें प्राप्त निर्देशों के अनुसार ऐसे किसी भी व्यक्ति को न तो थाने पर बुलाया गया और न ही वे आए। हालांकि कोर्ट द्वारा तलब की गईं महिला थाने की इंचार्ज दुर्गावती ने शपथ पत्र देकर बताया कि आठ अप्रैल को हेड कांस्टेबिल शैलेंद्र सिंह ने उक्त दंपती को थाने पर बुलाया था जिसकी जानकारी उन्हें नहीं थी। पहले दी गई गलत जानकारी के लिए उन्होंने कोर्ट से माफी भी मांगी।