Searching...
Tuesday, May 24, 2022

बेटे की असमय मृत्यु पर माता-पिता बहू को ठहराते हैं दोषी:- हाईकोर्ट ने की गंभीर टिप्पणी, विधवा को अनुकंपा पर नियुक्ति का दिया आदेश

7:11 AM
बेटे की असमय मृत्यु पर माता-पिता बहू को ठहराते हैं दोषी:- हाईकोर्ट ने की गंभीर टिप्पणी, विधवा को अनुकंपा पर नियुक्ति का दिया आदेश


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधवा बहू को अनुकंपा नियुक्ति का आदेश देते हुए पारिवारिक संबंधों में गंभीर टिप्पणी की। कहा कि बहुत बार ऐसे माता-पिता जिसके बेटे की आसमयिक मृत्यु हो जाती है, वे इसके लिए बहू को दोषी ठहराते हैं। उसे उसके पति की संपत्ति से वंचित करने के लिए उचित और बेइमानी से हर तरह का सहारा लेकर उससे छुटकारा पाना चाहते हैं। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने कुशीनगर की दीपिका शर्मा द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए की।



मामले में याची की ओर से उसके पति की आसमयिक मृत्यु के कारण अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई थी। याची के पति को 2015 में उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा बोर्ड इलाहाबाद के तहत संचालित बेसिक स्कूल में सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। पति की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए विपक्षी बेसिक शिक्षाधिकारी कुशीनगर के समक्ष प्रत्यावेदन किया था। तर्क दिया गया कि उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है और अपने पति की मृत्यु के बाद वह अपने एक साल के बच्चे के साथ भुखमरी की स्थिति में पहुंच गई है।


ससुर ने अनुकंपा नौकरी देने का किया था विरोध


याची के ससुर का आरोप था कि वह उसके बेटे को परेशान कर रही थी, जिसके कारण वह बीमार हो गया और उसकी मृत्यु हो गई। उसके देवर ने गर्दन काटने की धमकी देने का आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज कराया था। याची के ससुर ने जिला जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कुशीनगर को मृतक की एक वसीयत भी भेजी जिसे उसके पक्ष में निष्पादित किया गया था।



याची बेसिक शिक्षाधिकारी के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने पाया कि यूपी भर्ती के तहत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की भर्ती नियम 1974 नियम 2 (सी) मृतक सरकारी कर्मचारी के परिवार को परिभाषित करता है, जिसमें पत्नी या पति, बेटे शामिल हैं। इसके बाद अविवाहित और विधवा बेटियां का नंबर आता है। कोर्ट ने पाया कि मृतक के पिता और भाई नहीं चाहते कि याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।



उनका आचरण असामान्य नहीं है। क्योंकि, अधिकांश माता-पिता जिनके बेटे की असमय मृत्यु हो जाती है, अपनी विधवा बहु को उसकी मृत्यु के लिए दोषी ठहराते हैं और उसे अपने पति की संपत्ति से वंचित करने के लिए हर तरह से निष्पक्ष और बेइमानी का सहारा लेकर उससे छुटकारा पाना चाहते हैं। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए याची को अनुकंपा पर नियुक्ति का आदेश दिया।

संबन्धित खबरों के लिए क्लिक करें

GO-शासनादेश NEWS अनिवार्य सेवानिवृत्ति अनुकम्पा नियुक्ति अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण अवकाश आधार कार्ड आयकर आरक्षण आवास उच्च न्यायालय उच्‍च शिक्षा उच्चतम न्यायालय उत्तर प्रदेश उत्तराखण्ड उपभोक्‍ता संरक्षण एरियर एसीपी ऑनलाइन कर कर्मचारी भविष्य निधि EPF कामधेनु कारागार प्रशासन एवं सुधार कार्मिक कार्यवाही कृषि कैरियर कोर्टशाला कोषागार खाद्य एवं औषधि प्रशासन खाद्य एवम् रसद खेल गृह गोपनीय प्रविष्टि ग्रामीण अभियन्‍त्रण ग्राम्य विकास ग्रेच्युटी चतुर्थ श्रेणी चयन चिकित्सा चिकित्‍सा एवं स्वास्थ्य चिकित्सा प्रतिपूर्ति छात्रवृत्ति जनवरी जनसुनवाई जनसूचना जनहित गारण्टी अधिनियम धर्मार्थ कार्य नकदीकरण नगर विकास निबन्‍धन नियमावली नियुक्ति नियोजन निर्वाचन निविदा नीति न्याय न्यायालय पंचायत चुनाव 2015 पंचायती राज पदोन्नति परती भूमि विकास परिवहन पर्यावरण पशुधन पिछड़ा वर्ग कल्‍याण पीएफ पुरस्कार पुलिस पेंशन प्रतिकूल प्रविष्टि प्रशासनिक सुधार प्रसूति प्राथमिक भर्ती 2012 प्रेरक प्रोबेशन बजट बर्खास्तगी बाट माप बेसिक शिक्षा बैकलाग बोनस भविष्य निधि भारत सरकार भाषा मत्‍स्‍य मंहगाई भत्ता महिला एवं बाल विकास माध्यमिक शिक्षा मानदेय मानवाधिकार मान्यता मुख्‍यमंत्री कार्यालय युवा कल्याण राजस्व राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद राज्य सम्पत्ति राष्ट्रीय एकीकरण रोक रोजगार लघु सिंचाई लोक निर्माण लोक सेवा आयोग वरिष्ठता विकलांग कल्याण वित्त विद्युत विविध विशेष भत्ता वेतन व्‍यवसायिक शिक्षा शिक्षा शिक्षा मित्र श्रम सचिवालय प्रशासन सत्यापन सत्र लाभ सत्रलाभ समन्वय समाज कल्याण समाजवादी पेंशन समारोह सर्किल दर संवर्ग संविदा संस्‍थागत वित्‍त सहकारिता सातवां वेतन आयोग सामान्य प्रशासन सार्वजनिक उद्यम सार्वजनिक वितरण प्रणाली सिंचाई सिंचाई एवं जल संसाधन सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम सूचना सेवा निवृत्ति परिलाभ सेवा संघ सेवानिवृत्ति सेवायोजन सैनिक कल्‍याण स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन स्थानांतरण होमगाडर्स