यूपी में एक ही नीति पर पांच साल होंगे सरकारी कर्मियों के तबादले, ट्रांसफर पॉलिसी पर काम जारी, अंतिम फैसला लेंगे सीएम योगी
समूह क, ख कर्मी जिले में 3 वर्ष से अधिक रहेंगे, लेकिन समूह ग के कर्मियों का तबादला होता रहेगा
लखनऊ। राज्य सरकार नई तबादला नीति पांच साल के लिए लाने जा रही है। हर साल केवल तबादले के लिए समय-सीमा तय की जाएगी। इसी नीति पर अधिकारियों और कर्मचारियों को स्थानांतरित किया जाएगा। नई नीति में समूह क व ख के कर्मियों को एक ही जिले में तीन साल व मंडल में सात साल में हटाने की अनिवार्यता भी खत्म करने का विचार हो रहा है। लेकिन समूह ग के कर्मियों का तबादला होता रहेगा।
समूह ग के कर्मी अनिवार्य रूप से हटेंगे: नई तबादला नीति में समूह ग के कर्मियों को तीन साल जिले और सात साल मंडल में रहने पर हटा दिया जाएगा। इसके साथ ही एक साल में उनका पटल बदल दिया जाएगा। इसका मकसद सरकारी कामों में पारदर्शिता लाना और समूह ग के कर्मियों को विभाग के सभी कामों में पारंगत बनाना है। अभी स्थिति यह है कि समूह ग के कर्मचारी सालों-साल जुगाड़ के सहारे एक ही स्थान व एक ही पटल पर जमे रहते हैं। नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग सरकारी विभागों के कामकाज में पारदर्शी व्यवस्था लागू करने के लिए तबादला नीति में बदलाव कर रहा है।
अधिकारी जरूरत पर रुक सकेंगे:
साफ छवि और ईमानदारी से काम करने वाले समूह क व ख के अधिकारियों को एक ही जिले में तीन व मंडल में सात साल से अधिक रखने पर भी विचार किया जा रहा है। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि एक जिले में अधिक समय तक रहने वाला अधिकारी विभागीय कामों के साथ क्षेत्रीय स्थितियों की बेहतर जानकारी हो जाती है। इससे योजनाओं का लाभ पात्रों तक पारदर्शी तरीके से पहुंचता है और विकास कार्य समय से पूरा हो जाता है। हालांकि इस पर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री को करना है।
अधिकारियों के लिए ऑफलाइन तबादले
इस बार तबादले में ऑनलाइन की अनिवार्यता पूरी तरह से नहीं होगी। जहां अभी तक मानव संपदा पोर्टल पर सभी अधिकारियों और कर्मचारियों का ब्योरा दर्ज नहीं हो पाया है वहां ऑफलाइन भी तबादले होंगे। अधिकारियों के ऑनलाइन की अनिवार्यवता नहीं होगी। अधिकारियों के तबादले ऑफलाइन भी किए जाएंगे।