NPS अंतर्गत पारिवारिक पेंशन के मामले में दिवंगत कार्मिक के परिवार को अभिदाता अंशदान की भी होगी वापसी, शासनादेश जारी
NPS अंतर्गत पारिवारिक पेंशन में हुए बदलाव के फैसले को जाने विस्तार से
एनपीएस में 10 फीसदी अंशदान करता है कर्मचारी
एनपीएस के अंतर्गत कर्मचारी का एक प्रान खाता खोला जाता है। इसमें कर्मचारी अपने मूल वेतन व महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत तथा सरकार 14 प्रतिशत का अंशदान करती है। इस 24 प्रतिशत अंशदान से कार्मिक का पेंशन फंड बनता है।
■ अब तक व्यवस्था थी कि सेवाकाल में यदि कार्मिक की मृत्यु होती है तो सरकार प्रान खाते में जमा पूरा फंड राजकोष में जमा कर लेती। फिर तय नियमों के अनुसार नामिनी को पारिवारिक पेंशन को सुविधा दी जाती
■ अब सरकार ने तय किया है कि कार्मिक के संचित पेंशन फंड में से सरकार के अंशदान और उस पर बने प्रतिलाभ को ही सरकारी खजाने में अंतरित किया जाएगा। बाकी कर्मचारी के अंशदान से संचित पेंशन कापस की पूरी राशि प्रतिलाभ सहित नामिनी को लौटा दी जाएगी। यदि किसी को नामिनी नामित नहीं किया है तो यह स्कम विधिक उत्तराधिकारी को दिया जाएगा। नामिनी को पारिवारिक पेंशन की सुविधा पूर्व की तरह मिलेगी।
कार्मिक के नामिनी को पूर्व की तरह मिलेगी पारिवारिक पेंशन, NPS में किया अंशदान भी होगा वापस
लखनऊ। प्रदेश में नई पेंशन योजना के अंतर्गत कर्मचारी का एक प्रान खाता खोला जाता है। इसमें कर्मचारी अपने मूल वेतन व महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत तथा सरकार 14 प्रतिशत का अंशदान करती है। इस 24 प्रतिशत अंशदान से कार्मिक का पेंशन फंड बनता है।
अब तक व्यवस्था थी कि सेवाकाल में यदि कार्मिक की मृत्यु होती है तो सरकार प्रान खाते में संचित संपूर्ण पेंशन धन राजकोष में जमा कर लेगी। इसकी जगह तय नियमों के अनुसार कार्मिक के नामिनी को पारिवारिक पेंशन की सुविधा दी जाएगी। सरकार ने अब तय किया है कि कार्मिक के संचित पेंशन कार्पस में से सरकार के अंशदान और उस पर बने प्रतिलाभ को ही सरकारी खजाने में अंतरित किया जाएगा। बाकी कर्मचारी के अंशदान से संचित पेंशन कार्पस की संपूर्ण राशि प्रतिलाभ सहित कार्मिक के नामिनी को लौटा दी जाएगी।
यदि कार्मिक ने नामिनी नामित नहीं किया है तो यह धनराशि विधिक उत्तराधिकारी को दिया जाएगा। कार्मिक के नामिनी को पारिवारिक पेंशन की सुविधा पूर्व की तरह मिलेगी। विशेष सचिव वित्त नील रतन कुमार ने नई पेंशन योजना में इस अहम बदलाव संबंधी शासनादेश जारी कर दिया है। उन्होंने कहा है कि यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। नई व्यवस्था को लागू करने के लिए वित्त विभाग के 19 मई 2016 के शासनादेश में संशोधन किया है।