केवल रिक्तियां होने से पदोन्नति का अधिकार नहीं मिल जाता: सुप्रीम कोर्ट
लाभ व वरिष्ठता केवल पदोन्नति को नियंत्रित करने वाले नियमों से तय होगी न कि अलग तरह से
केवल इस आधार पर किसी कर्मचारी को पीछे की तारीख से प्रमोशन नहीं दिया जा सकता है कि वह पद पहले से खाली था। सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन के एक मामले में सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने कहा कि जिन पदों पर नियुक्ति के लिए नियम अलग-अलग हैं, पदोन्नति की स्थिति में उन्हें एक नहीं माना जा सकता है। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि जब किसी पदोन्नति से भरे जाने वाले पद से संबंधित रिक्तियां विशेष नियमों के तहत निर्धारित हो तो केवल रिक्तियां उपलब्ध होने मात्र से किसी कर्मचारी को पूर्व प्रभाव से पदोन्नति का अधिकार नहीं मिल जाता। संबंधित विशेष नियमों में चयन प्रक्रिया के माध्यम से दी गई मंजूरी भी शामिल है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा, पदोन्नति के मामले में दो अलग अलग नियमों के बीच कभी समानता नहीं हो सकती। शीर्ष अदालत ने कहा है कि पदोन्नति है। का अधिकार और उसके बाद के लाभ व वरिष्ठता केवल उक्त पदोन्नति को नियंत्रित करने वाले नियमों से तय होगी न कि अलग नियम से।
पोठ ने केंद्र द्वारा दायर उस अपील को स्वीकार कर लिया जिसमें हाईकोर्ट के एक फैसले पर सवाल उठाया गया था। केंद्र का कहना था कि हाईकोर्ट ने एक अधिकारी के पक्ष में राहत देने में एक मौलिक त्रुटि की है, में जो वर्ष 2010 में स्वेच्छा से सेवानिवृत्त हुए जबकि पदोन्नति वर्ष 2011 में उत्पन्न रिक्तियों के लिए वर्ष 2012 में चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रदान की गई थी। यह मामला जूनियर प्रशासनिक ग्रेड-1 अधिकारियों की आईएएस के रूप में पदोन्नति से संबंधित था।