फैसला सुप्रीम कोर्ट का : मृत कर्मचारी की दूसरी पत्नी से पैदा हुआ बच्चा अनुकंपा नियुक्ति हेतु पात्र
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि मृत कर्मचारी की दूसरी पत्नी से पैदा हुआ बच्चा अनुकंपा नियुक्ति का पात्र है, क्योंकि कानून आधारित किसी नीति में वंश सहित अन्य आधारों पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। इसके साथ ही जस्टिस यूयू ललित, एस रवींद्र भट और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने 18 जनवरी, 2018 के पटना हाई कोर्ट के आदेश को रद कर दिया।
कहा कि मुकेश कुमार की अनुकंपा नियुक्ति पर केवल इसलिए विचार करने से इन्कार नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह दूसरी पत्नी का बेटा है। रेलवे की मौजूदा नीति के अनुसार उसके मामले पर विचार करने का निर्देश दिया जाता है। पीठ ने कहा, अधिकारियों को यह परखने का अधिकार होगा कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन कानून के अनुसार अन्य सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है या नहीं।
दूसरी पत्नी के बेटे को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं कर सकते
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा, किसी मृत कर्मचारी की दूसरी पत्नी का बेटा होने के आधार पर उसे अनुकंपा नियुक्ति देने से इनकार नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ मुकेश कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने मृतक जगदीश हरिजन की दूसरी पत्नी के बेटे होने के कारण रेलवे में अनुकंपा नियुक्ति के उनके दावे को खारिज कर दिया था। जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने उक्त निर्णय सुनाया
पीठ ने भारत सरकार बनाम वी के त्रिपाठी (2019) के मामले में दिए फैसले पर भरोसा किया। जस्टिस नरसिम्हा द्वारा 2019 के आदेश लिखे गए इस को बनाया नजीर फैसले में कहा गया है कि सर्कुलर ने एक वर्ग के बीच दो श्रेणियां बनाई हैं। एक बार जब कानून ने दूसरी शादी से पैदा हुए बच्चे को वैध मान लिया है तो उन्हें नीति के तहत विचार किए जाने से बाहर करना असंभव होगा।