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Monday, January 17, 2022

इलाहाबाद हाईकोर्ट की नई गाइडलाइन, 50 फीसदी स्टाफ के साथ होगा काम

इलाहाबाद हाईकोर्ट की नई गाइडलाइन, 50 फीसदी स्टाफ के साथ होगा काम


इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने कोविड- 19 संक्रमण में लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए सभी अनुभाग अधिकारियों व सुपरवाइजिंग अधिकारियों को निर्देश दिया है कि एक दिन के गैप पर 50 फीसदी स्टाफ से इस तरह कार्य लें कि किसी सीट का काम न रुकने पाए। मुख्य न्यायाधीश ने यह आदेश प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के 10 जनवरी 2022 के पत्र पर दिया है। जिसमें कोरोना संक्रमण की चेन ब्रेक करने के लिए 50 फीसदी स्टाफ से काम लेने का अनुरोध किया गया है।


निबंधक न्यायिक की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि किसी अधिकारी को बुखार होने पर वह तुरंत कोविड जांच कराए। हाईकोर्ट की प्रधान पीठ व लखनऊ बेंच परिसर में शराब, पान ,गुटका, तंबाकू आदि खाकर आने से प्रतिबंधित कर दिया गया है। साथ ही गंभीर बीमारी से पीड़ित अधिकारियों से न्यायालय प्रशासन को सूचना देने को कहा गया है ताकि ऐसे लोगों को ड्यूटी से छूट दी जा सके।


कहा गया है कि 50 फीसदी अधिकारियों व स्टाफ से काम लेने में सोशल डिस्टेंसिंग बनाई रखी जाए। अनुभाग अधिकारियों को यह छूट दी गई है कि अतिआवश्यक होने पर घर पर बैठे स्टाफ को काम के लिए बुला सकते हैं। कहा गया है कि सभी स्टाफ टेलीफोन या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से अपने अनुभाग से संपर्क बनाए रखें। इन निर्देशों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया गया है।


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने करोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए जिला न्यायालयों, अधीनस्थ न्यायालयों और प्राधिकरणों के लिए कुछ नई गाइडलाइन जारी की है। नए आदेश के तहत वादकारियों या उनके प्रतिनिधियों का न्यायालय परिसरों में प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। इसके साथ ही कार्यालयों में 50 फीसदी स्टॉफ ही काम पर आएगा।जिला जजों को दिया अनुपालन का निर्देश


हाईकोर्ट प्रशासन ने कुल तीन बिंदुओं पर नई गाइडलाइन जारी की है और इसका अनुपालन कराने के लिए जिला न्यायाधीशों को निर्देश दिए हैं।महानिबंधक आशीष गर्ग की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि सोमवार से जिलान्यायालयों, अधीनस्थ न्यायालयों और प्राधिकरणों के परिसर में वादकारियों या उनके प्रतिनिधियों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा अगर कोई भी वादकारी या उनका प्रतिनिधि कोर्ट परिसर में आता है तो उसके लिए उसे पहले से परमिशन लेनी होगी।


बिना अनुमति के कोर्ट परिसर में उनका प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। हाईकोर्ट प्रशासन ने कहा है कि अगर जरूरी ना हो तो गर्भवती ने महिला न्यायिक अफसरों और कर्मचारियों को आने की जरूरत नहीं है। वह घर से ही अपना काम करेंगी। इसके साथ ही अधिसूचना में कहा गया है कि न्यायालयों में 50% कर्मचारी अधिकारी ही काम कार्यालय आएंगे। यह व्यवस्था रोटेशन के अनुसार चलेगी। हाइकोर्ट इसके पहले भी कोरोना के संक्रमण को देखते हुए दो बार एडवाजरी जारी कर चुका है।

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