चुनावी आचार संहिता के चलते संविदा कर्मियों का नियमितीकरण टला
● आचार संहिता लगने से नहीं हो सकती कार्रवाई
● 16 हजार से ज्यादा संविदा कर्मी होने थे नियमित
लखनऊ : चुनाव आचार संहिता ने हजारों संविदा कर्मियों को निराश कर दिया। यह वे संविदा कर्मी थे जो 2001 के पहले भर्ती हुए थे। इनको सरकार के आदेश पर नियमित होना था पर विभागीय अफसरों की लचर कार्यप्रणाली की वजह से नियमित नहीं हो सके। ऐसे आधा दर्जन विभागों में तैनात 16 हजार के करीब संविदा कर्मियों का नियमितीकरण टल गया।
इस दायरे में सबसे ज्यादा संविदा कर्मी नगर निगम, वन विभाग, परिवहन निगम, शैक्षिक संस्थाओं और विभिन्न निगमों में दो दशकों से तैनात है। सरकार के आदेश का समय से क्रियानवयन नहीं होने का खामियाजा संविदा कर्मियों को भुगतना पड़ा है। नतीजा यह है कि नियमित होने के इंतजार में संविदा कर्मी धीरे-धीरे अपनी उम्र के 60 साल पूरे करने के बाद सेवानिवृत होते जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में संविदा कर्मियों को नियमित करने का आदेश साल 2015 में हुआ था। जिसके अंतर्गत काफी संख्या में संविदा कर्मी नियमित हुए थे। इसी क्रम में बीते साल कुछ शर्तो के साथ नया शासनदेश जारी हुआ। अधिकारियों की लापरवाही से आदेश का पालन समय रहते नहीं हो सका और आचार संहिता से मामला टल गया।
अधिकारी बताते हैं कि अब नई सरकार बनने के बाद नए आदेश का इंतजार करना होगा। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा बताते हैं कि हो सकता है कि नई सरकार नियमित करने की समय सीमा बढ़ा दे।