आधार से जुड़ेगा मतदाता कार्ड, भारी हंगामे के बीच विधेयक लोकसभा से पारित, स्वैच्छिक होगी व्यवस्था
🔴 18 साल की उम्र पूरी करने वालों को मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए अब मिलेंगे साल में चार मौके
🔴 फर्जी मतदान करने व गलत तरीके से मतदाता बनने का रास्ता होगा बंद, चुनावों में आएगी और पारदर्शिता
🔴 विधेयक पर सवाल खड़ा कर रहे विपक्ष को सरकार का जवाब, स्थायी समिति की सिफारिश पर ही किया पेश
नई दिल्ली: मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने सहित चुनाव सुधारों से जुड़ा चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 सोमवार को विपक्ष के भारी हंगामे के बीच लोकसभा से ध्वनिमत पारित हो गया। विधेयक पेश करते हुए सरकार ने विपक्ष की आशंकाओं को शांत करने की कोशिश की और बताया कि मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की व्यवस्था अनिवार्य नहीं, बल्कि स्वैच्छिक रहेगी। साथ ही इससे चुनावों में और पारदर्शिता आएगी, फर्जी मतदान करने और गलत तरीके से मतदाता बनने का रास्ता भी बंद होगा। हालांकि इसके बाद भी विपक्ष अपने रुख पर अड़ा रहा और सरकार के इस कदम को कानून विरुद्ध बताया। सरकार की सक्रियता से साफ है कि अब यह विधेयक बुधवार को राज्यसभा में पेश किया जा सकता है।
चुनाव सुधारों से जुड़े इस विधेयक में मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के साथ जो अन्य प्रमुख कदम उठाए गए हैं उनमें अब किसी भी नए मतदाता को 18 साल की उम्र पूरी करने के बाद मतदाता पहचान पत्र बनवाने के लिए साल पूरा होने का इंतजार नहीं करना होगा। इस विधेयक के मुताबिक अब उन्हें साल में चार बार मतदाता पहचान पत्र बनवाने के मौके मिलेंगे। अभी तक उन्हें साल में सिर्फ एक मौका मिलता था क्योंकि उनकी उम्र की गणना एक जनवरी से की जाती थी। अब उम्र की गणना जनवरी के साथ एक अप्रैल, एक जुलाई और एक अक्टूबर से भी होगी। लिहाजा जैसे ही युवा 18 साल की उम्र पूरी करेंगे, उन्हें तुरंत ही मतदाता बनने का अधिकार मिल जाएगा।
विधेयक में मतदाता पंजीकरण अधिकारियों को यह अधिकार भी दिया गया है कि मतदाता सूची में शामिल नामों के सत्यापन के लिए वे आधार नंबर की मांग कर सकें और इस बात की पहचान कर सकें कि एक ही व्यक्ति का नाम कई संसदीय या विधानसभा क्षेत्रों में या एक ही संसदीय या विधानसभा क्षेत्र में एक से अधिक बार शामिल तो नहीं है।
केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू के लोकसभा में विधेयक पेश करने के लिए खड़े होते ही विपक्ष ने हंगामा तेज कर दिया। सदन में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने विधेयक को कानून विरुद्ध और जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताया।
रिजिजू ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए चुनाव सुधारों के जरिये वर्षो से कायम एक लिंगभेदी व्यवस्था भी खत्म करने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सेना या सरकारी नौकरी करने वाले पुरुष कर्मचारियों के साथ उनकी पत्नी को तो सर्विस वोटर के रूप में जगह दी जाती है, लेकिन महिला कर्मचारी के साथ उसके पति को शामिल नहीं किया जाता था। अब जीवनसाथी शब्द जोड़ दिया गया है।
सरकार विधेयक पर पूरी चर्चा कराना चाहती थी, लेकिन सदन में हंगामे की वजह से ऐसा नहीं कर सकी। - किरण रिजिजू, केंद्रीय कानून मंत्री
विपक्ष ने निजता का हनन बताया
विधेयक से जुड़ी चर्चा में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, राकांपा सांसद सुप्रिया सुले और एआइएमआइएम के सांसद ओवैसी आदि ने हिस्सा लिया। हालांकि सभी विपक्षी सांसदों ने विधेयक का विरोध किया और इसे निजता का हनन बताया। कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद मनीष तिवारी ने भी चुनाव संशोधन विधेयक का विरोध करते हुए सदन को नोटिस दिया। इसमें उन्होंने बताया कि आधार का इस्तेमाल सिर्फ सब्सिडी, सेवाओं में या फिर किसी लाभ से जुड़ी योजना में ही किया जा सकता है। ऐसे में इसे मतदाता पहचान पत्र से जोड़ना पूरी तरह गलत है।