यूपी : ग्राम प्रहरी को मिले सामाजिक सुरक्षा, भर्ती के नियम बनें, विधि आयोग ने की कानून बनाये जाने की सिफारिश
राज्य विधि आयोग ने ग्राम प्रहरी की भूमिका को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हुए उनके लिए कानून बनाए जाने की सिफारिश की है। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल ने 21वें प्रतिवेदन के माध्यम से ग्राम प्रहरी के लिए नए कानून का मसौदा प्रदेश सरकार को भेजा है। इसमें ग्राम प्रहरी के लिए सेवा शर्तें तय करते हुए डीएम के माध्यम से चयन की सिफारिश की गई है।
प्रशिक्षण की व्यवस्था हो, नियमित मानदेय मिले
विधि आयोग ने है कि राज्य सरकार को ग्राह प्रहरी की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता तय करनी चाहिए। न्यूनतम आयु और आवश्यक शारीरिक दक्षता के भी मानक तय हों। उसका मासिक मानदेय नियमित रूप से दिए जाने की सिफारिश की है ताकि वह गांव की सुरक्षा के लिए पूरी लगन व तत्परता के साथ अपनी सेवाएं दे सके। ग्राम प्रहरी को सामाजिक सुरक्षा दिए जाने के बारे आयोग ने सिफारिश की है कि ड्यूटी के दौरान और पूरे सेवाकाल में ग्राम प्रहरी की मृत्यु होने पर उसके आश्रितों के समुचित हितलाभ सुनिश्चित किया जाना चाहिए। सामूहिक बीमा योजना का लाभ मिलना चाहिए। ग्राम प्रहरियों के बारे में कानून बनाते समय 'ग्राम प्रहरी', 'गांव', 'पुलिस अधीक्षक', 'बीट' व 'नियुक्ति प्राधिकारी' आदि शब्दों को स्पष्ट व समुचित रूप से पारिभाषित किया जाना चाहिए। जिलाधिकारी ग्राम प्रहरी के नियुक्ति प्राधिकारी होंगे।
दायित्व भी तय किए गए
ग्राम प्रहरी गांव में किसी भी तरह की संदिग्ध, अप्राकृतिक, आकस्मिक मृत्यु के बारे में संबंधित पुलिस अधिकारी को तत्काल सूचना देगा। हत्या, लूट, चोरी, बलात्कार, अग्निकांड, हादसे में घर के क्षतिग्रस्त होने, अपहरण, बच्चों व महिलाओं के साथ होने वाले अन्य अपराध आदि की सूचना भी वह तत्काल संबंधित पुलिस अधिकारी को देगा। किसी ऐसे विवाद जिससे गांव में जातीय, साम्प्रदायिक उन्माद भड़कने, दंगा होने की आशंका हो उसके बारे में भी वह तत्काल पुलिस को सूचित करेगा।