अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति एक रियायत, अधिकार नहीं - सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी रिक्तियों के लिए अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति एक रियायत है अधिकार नहीं। कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 14 व 16 के तहत अनिवार्य सभी सरकारी रिक्तियों के लिए अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति में सभी उम्मीदवारों को समान अवसर प्रदान किया जाना चाहिए, लेकिन यह एक मापदंडों का अपवाद है।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एआर बोपन्ना की पीठ ने का कि इस अदालत द्वारा अपने कई फैसलों में दी गई व्यवस्था के मुताबिक अनुकंपा नियुक्ति लोक सेवाओं में नियुक्ति के सामान्य नियम का अपवाद है। पीठ ने कहा कि अनुकंपा के आधार पर रोजगार देने का मकसद परिवार को संकट से उबरने में सक्षम बनाना है। इसका उदेश्य ऐसे परिवार को मृतक के पद से कम पद देना नहीं है। पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को रद करते हुए उप्र सरकार की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली।
हाई कोर्ट ने चतुर्थ श्रेणी के एक कर्मचारी की विधवा को तृतीय श्रेणी के पद पर नियुक्ति देने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने एकल पीठ के आदेश को भी बहाल किया, जिसे खंडपीठ ने रद कर दिया था। एकल पीठ ने तृतीय श्रेणी के पद के लिए महिला की उम्मीदवारी को खारिज कर दिया था, क्योंकि उसका पति चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी था।