ITR फाइल करने की तारीख तो बढ़ी, लेकिन ब्याज पर कोई राहत नहीं
आयकर विभाग ने अपने नए पोर्टल में दिक्कत को देखते हुए रिटर्न की तारीख को बढ़ाकर 31 दिसंबर जरूर कर दिया है, लेकिन देरी से भरे जाने वाले रिटर्न पर लगने वाले ब्याज में कोई राहत नहीं दी है। इस बाबत आयकर विभाग ने स्पष्ट्रीकरण दिया है।
आयकर विभाग ने कहा है कि वह 31 जुलाई की समय सीमा के बाद भरे जाने वाले आयकर रिटर्न पर लगने वाले ब्याज की वसूली जारी रखेगा। इस संदर्भ में आयकर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कर भुगतान नेट बैंकिंग के जरिये किया जाना है और इसके लिए करदाता को ई-फाइलिंग पोर्टल के इस्तेमाल की जरूरत नहीं है, जिसमें दिक्कत आ रही है। लिहाजा 31 जुलाई के बाद रिटर्न भरने वाले करदाताओं को बकाये कर पर हर महीने 1 फीसदी की दर से ब्याज भुगतान करना होगा।
ब्याज राहत की मांग की जा रही थी
उल्लेखनीय है कि आयकर जमा करने वाले विभिन्न वर्ग आकलन वर्ष 2021-22 के लिए ब्याज देनदारी पर राहत देने के लिए कानून में संशोधन करने की मांग कर रहे थे। 9 सितंबर के अपने परिपत्र में सीबीडीटी ने आईटीआर भरने और अन्य समय सीमाओं को आगे बढ़ाते हुए कहा, तारीखों का विस्तार धारा 234ए पर लागू नहीं होगा जो आईटीआर भरने में देरी होने पर ब्याज भुगतान से संबंधित है। यानी, ब्याज में करदाताओं को कोई राहत नहीं मिलेगी। हालांकि, परिपत्र में कहा गया है कि 1 लाख रुपये से कम की स्व-आकलन कर देनदारी वाले छोटे करदाताओं और कुछ कुछ वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज से राहत प्रदान की जाएगी।
इन धारओं के तहत ब्याज का प्रावधान
आयकर अधिनियम 1961 में तीन धारा 234 ए, 234 बी और 234 सी है, जो समय से रिटर्न व आयकर जमा नहीं करने पर दंड ब्याज लेने का प्रावधान है। रिटर्न दाखिल करने की तारीख बढ़ाने के बाद इन धाराओं में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसके चलते 31 जुलाई के बाद रिटर्न दाखिल करने वालों को जमा आयकर के आधार पर एक फीसद मासिक दंड ब्याज देना पड़ेगा। हालांकि यह दंड ब्याज एक लाख से अधिक का आयकर देने वालों से लिया जाएगा। इसके कम राशि वाले आयकरदाता से दंड ब्याज नहीं लिया जाएगा।
वेबसाइट में आ रही दिक्कत से बढ़ी परेशानी
आयकर रिटर्न की तारीखों में बढ़ोतरी नए कर फाइलिंग पोर्टल में आ रही तकनीकी खामियों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इस पोर्टल का प्रबंधन इन्फोसिस कर रही है जिसे सरकार और करदाताओं से बड़े पैमाने पर आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। इंफोसिस को 15 सितंबर तक पोर्टल को दुरुस्त करने के लिए कहा गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में इंफोसिस के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक सलिल पारेख के साथ बैठक की थी। इसमें उन्होंने गहरी नाराजगी जताई थी और उन्हें ई-फाइलिंग पोर्टल को लेकर सरकार के साथ साथ करदाताओं की चिंता से अवगत कराया था।