यूपी : आउटसोर्सिंग भर्ती में भी मिलेगा आरक्षण, पिछड़ा आयोग ने की संस्तुति
उत्तर प्रदेश के सरकारी विभाग, सार्वजनिक उपक्रम और निगमों में हाेने वाली आउटसोर्सिंग भर्तियों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा। यूपी पिछड़ा आयोग ने ओबीसी अभ्यर्थियों को आउटसोर्सिंग भर्ती में रिजर्वेशन नहीं मिलने की शिकायतों को गम्भीरता से लिया है। आयोग ने तय किया है कि आउटसोर्सिंग की भर्ती में ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ ओबीसी अभ्यर्थियों को न दिये जाने के जिम्मेदार अफसरों व अन्य कार्मिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
आठ जातियों को शामिल करने पर अंतिम सुनवाई जल्द
यूपी पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष जसवंत सैनी ने कहा कि इसी महीने आठ अन्य जातियों को ओबीसी की सूची में शामिल किये जाने पर अंतिम सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होगी। इसके बारे में जल्द ही आपत्ति व सुझाव आमंत्रित करने के लिए विज्ञापन प्रकाशित करवाया जाएगा। यह जातियां हैं-बागबान, गोरिया, महापात्र ब्राम्हण, रूहेला, मुस्लिम भांट, पंवरिया-परमरिया, सिख लवाणा और उनाई साहू। उत्तर प्रदेश की अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची में शामिल जातियों के नाम के आगे उनकी उप जाति या टाइटिल अंकित नहीं किया जाएगा। 79 जातियों की इस सूची में शामिल ओबीसी जाति का मूल नाम ही अंकित रहेगा। फकीर जाति के प्रतिनिधियों की तरफ से दाखिल एक प्रतिवेदन को खारिज करते हुए आयोग ने स्पष्ट किया कि इस बारे में पुरानी व्यवस्था ही बनी रहेगी।
आयोग के अध्यक्ष जसवंत सैनी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में फकीर जाति के प्रतिनिधियों की तरफ से दिये गये एक प्रतिवेदन पर विचार किया गया। प्रतिवेदन में फकीर जाति के आगे साई, शाह, अलवी, दीवान, मदारी, छप्परबंद टाइटिल अंकित किये जाने का अनुरोध किया गया था। कलाल, कलवार, कलार के साथ जायसवाल टाइटिल जोड़ने और हज्जाम, नाई, सलमानी, सविता एवं श्रीनिवास के स्थान पर न्यायी ठाकुर, सैन, सलमानी अंकित करने के प्रतिवेदनों को भी खारिज कर दिया गया।
जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत हासिल जानकारी के आधार पर ऊमर बनिया की सर्वेक्षण रिपोर्ट एवं संस्तुति दिये जाने के सम्बन्ध में, उप्र लोक सेवा अधिनियम 1994 में अनुसूची-2 को विभाजित कर डीनोटिफाइड ट्राइब्स को अलग सूची बनाकर रखने व अलग से आरक्षण का प्रतिशत दिये जाने के सम्बन्ध में एवं पिछड़े वर्ग की सूची में करने के प्रतिवेदन का भी खारिज किया गया। अध्यक्ष जसवंत सैनी ने कहा कि आयोग का काम मूल जाति को सूची में शामिल करना है, न कि मूल जाति की उपजाति या उपनाम अंकित करना।