यूपी : दो से अधिक बच्चों वाले अभिभावकों को नहीं मिलेगी नौकरी, जानें और किन चीजों पर लगेगा प्रतिबंध
दो बच्चों वाले सरकारी सेवकों के वेतन में ज्यादा वृद्धि होगी: जनसंख्या नीति में प्रस्ताव
दो से अधिक बच्चे वाले नहीं लड़ सकेंगे निकाय चुनाव, योगी आज जारी करेंगे प्रदेश की नई जनसंख्या नीति 2021
लखनऊ-मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कल 11.30 बजे उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-2030 का विमोचन करेंगे। 👇
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जल्द एक ठोस कानून शक्ल लेगा। अहम बात यह है कि कानून में आम लोगों के अलावा सरकारी अधिकारियों व कर्मियों से लेकर जनप्रतिनिधियों पर भी बड़े अंकुश लगाने की कोशिश है। आयोग ने दो से अधिक बच्चे वालों को स्थानीय निकाय चुनाव (नगर निकाय से लेकर पंचायत चुनाव तक) से वंचित रखे जाने की अहम सिफारिश राज्य विधि आयोग ने की है।
आयोग नए कानून में सख्त प्रविधान लाने के पक्ष में है। आयोग ने कानून लागू होने के एक साल के भीतर सभी स्थानीय निकायों में चयनित प्रतिनिधियों से इस नीति के पालन का शपथपत्र लिए जाने तथा नियम तोड़ने पर उनका निर्वाचन रद किए जाने की सिफारिश की है। कहा है कि उन्हें फिर चुनाव भी न लड़ने दिया जाए।
आयोग ने उप्र जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण व कल्याण) विधेयक-2021 का जो मसौदा तैयार किया है, उसमें लोगों की जिम्मेदारी तय करने के साथ ही राज्य सरकार के दायित्व भी तय किए गए हैं। आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण बिल का प्रारूप अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर 19 जलाई तक सुझाव मांगे हैं। आयोग को अब तक सुझाव के दो हजार ईमेल मिल चुके हैं। प्रारूप को कई न्यायाधीशों को भेजकर उनके सुझाव भी लिए जा रहे हैं, जिसके बाद प्रारूप को अंतिम रूप देकर उसे राज्य सरकार को सौंपा जाएगा।
माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद तथा नगरीय निकाय (नगर निगम, नगर पालिका परिषद, नगर पंचायत) से पहले इस नए कानून को लागू किया जा सकता है।
राजस्थान व मध्य प्रदेश की तरह सूबे में भी दो से अधिक बच्चे वालों को सरकार नौकरी से दूर रखे जाने की सिफारिश शामिल है। ऐसे अभिभावक राज्य सरकार की किसी भर्ती में आवेदन नहीं कर सकेंगे। उन्हें सरकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित रखा जाएगा। आयोग ने बहुविवाह का भी ध्यान रखा है। धार्मिक या पर्सनल ला के तहत एक से अधिक विवाह करने वाले दंपती भी कानून के दायरे में होंगे।
एक से अधिक विवाह करने वाले व्यक्ति के सभी पत्नियों से यदि दो से अधिक बच्चे हैं तो उसे सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि, हर पत्नी उसके दो बच्चे होने पर सुविधाओं का लाभ ले सकेगी। ऐसे ही किसी महिला के एक से अधिक विवाह करने पर उसके अलग-अलग पतियों से दो से अधिक बच्चे होने पर उसे भी सुविधाओं से वंचित होना होगा।
सभी सरकारी अधिकारियों व कर्मियों से सीमित परिवार का शपथपत्र लेने तथा नियम तोड़ने पर उनकी पदोन्नति रोके जाने व सेवा से बर्खास्त किए जाने तक की सिफारिश की गई है। मातृत्व व पितृत्व के लिए पूरे वेतन व भत्तों के साथ 12 माह का अवकाश प्रदान किए जाने की भी सिफारिश है।
ये भी अहम सुझाव
’जिन सरकारी कार्मिकों का परिवार सीमित रहेगा और वह मर्जी से नसबंदी कराते हैं तो उन्हें दो अतिरिक्त इंक्रीमेंट, पदोन्नति, आवास योजनाओं में छूट, पीएफ में कर्मी का कंट्रीब्यूशन बढ़ाने व ऐसे अन्य लाभ दिए जाने की सिफारिशें हैं।
’जो दंपती सरकारी नौकरी में नहीं है, उन्हें सीमित परिवार रखने पर पानी, बिजली, गृह व अन्य करों में छूट मिलेगी।
’एक संतान पर मर्जी से नसबंदी कराने वाले अभिभावकों की संतान को 20 साल तक मुफ्त इलाज, शिक्षा व बीमा के साथ नौकरियों में वरीयता दिए जाने की तैयारी है।
’एक संतान वाले दंपती को सरकारी नौकरी में चार इंक्रीमेंट तक मिल सकते हैं। गरीबी रेखा के नीचे निवास करने वाले ऐसे दंपती को बेटे के लिए 80 हजार रुपये व बेटी के लिए एक लाख रुपये एकमुश्त दिए जाएंगे।
राष्ट्रीय पेंशन योजना के सदस्य को राज्य सरकार की ओर से तीन फीसद अधिक राशि का योगदान।
- गरीबी रेखा के नीचे निवास करने वाली महिला के 45 वर्ष की आयु तक एक ही बच्चा रहने पर एक लाख रुपये की विशेष प्रोत्साहन राशि।
ये भी होगा
’यदि दूसरी प्रेग्नेंसी में किसी के दो या उससे अधिक बच्चे होते हैं, तो उन्हें एक ही माना जाएगा।
’पहला, दूसरा या दोनों ही बच्चे नि:शक्त हैं तो वह तीसरी संतान पर सुविधाओं से वंचित नहीं होगा।
’यदि दो बच्चों में से एक बच्चा किसी नि:संतान दंपती को विधि पूर्वक गोद दे दिया जाता है तो तीसरे बच्चे की छूट होगी।
’किसी बच्चे की असमय मृत्यु पर तीसरा बच्चा कानून के दायरे से होगा बाहर।
’सरकार को कानून लागू कराने के लिए राज्य जनसंख्या कोष बनाना होगा।
’हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में देनी होगी प्रसव की सुविधा।
’स्कूल के पाठ्यक्रम में जनसंख्या नियंत्रण का भी अध्याय होगा।
’महिला व पुरुष नसबंदी के असफल होने पर अनचाहे गर्भ में छूट मिलेगी।
’नसबंदी आपरेशन के विफल होने से हुआ तीसरा बच्चा कानून के दायरे से बाहर होगा। ’नसबंदी आपरेशन की विफलता साबित होने पर देना होगा 50 हजार रुपये मुआवजा।
’केवल चार यूनिट तक सीमित होगा राशनकार्ड।
’राज्य सरकार से कोई भी सब्सिडी लेने पर रोक।
’नियम तोड़ने पर अधिकारियों और कर्मियों की नौकरी भी जाएगी
’राज्य विधि आयोग ने की है अहम सिफारिश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर सूबे में नई जनसंख्या नीति 2021-30 जारी करेंगे। नई जनसंख्या नीति के तहत सरकार ने जन्मदर कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत सरकार गर्भ निरोधक उपायों की सुलभता को बढ़ाएगी और सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था देने का प्रयास भी करेगी।
उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से नवजात जन्म दर, मृत्यु दर व मातृ मृत्यु दर को कम करने तथा नपुंसकता/बांझपन की समस्या के सुलभ समाधान उपलब्ध कराने का प्रयास भी होगा। नई नीति में वर्ष 2026 तक जन्मदर को प्रति हजार आबादी पर 2.1 तक तथा वर्ष 2030 तक 1.9 तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। 11 से 19 वर्ष के किशोरों के पोषण, शिक्षा व स्वास्थ्य के बेहतर प्रबंधन के अलावा, बुजुर्गों की देखभाल के लिए व्यापक व्यवस्था भी की जाएगी। नई नीति में आबादी स्थिरीकरण के लिए स्कूलों में हेल्थ क्लब बनाये जाने का प्रस्ताव भी शामिल है। साथ ही डिजिटल हेल्थ मिशन की भावनाओं के अनुरूप नवजातों, किशोरों व बुजुर्गों की डिजिटल ट्रैकिंग भी कराने की योजना है।
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जनसंख्या नियंत्रण के उद्देश्य से राज्य विधि आयोग की तरफ से तैयार किए जा रहे नए कानून के मसौदे में दो बच्चों की नीति को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रस्ताव शामिल किए गए हैं।
इसमें दो बच्चों वाले सरकारी सेवकों को सेवाकाल में दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि, मुफ्त चिकित्सा व सस्ती ऋण सुविधा तथा सरकारी संस्थाओं से भवन भूखंड खरीदने पर छूट दिए जाने का प्रावधान शामिल है। आम जनता के सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित करके आयोग उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण, स्थिरीकरण एवं कल्याण) एक्ट 2021 के मसौदे को अंतिम रूप देने में जुटा है।
आयोग एक्ट का यह मसौदा विचार के लिए राज्य सरकार को सौंपेगा। आयोग ने अपने मसौदे में दो बच्चों की नीति को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की सुविधाएं देने का प्रस्ताव किया है। ये सुविधाएं सरकारी नौकरी करने वाले ऐसे माता-पिता को दी जाएंगी, जो दो बच्चों के बाद स्वेच्छा से ऑपरेशन कराएंगे।
आयोग ने ऐसे सरकारी सेवकों को सेवाकाल में दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि हाउसिंग बोर्ड या विकास प्राधिकरणों से भवन या भूखंड खरीदने परछूट घर बनाने के लिए सस्ती ब्याज दर पर ऋण सुविधा, बिजली गृहकर व जलकर में छूट दिए जाने, पीएफ फंड में तीन प्रतिशत की वृद्धि जाने, निःशुल्क चिकित्सा सुविधा या बीमा सुविधा देने तथा पूर्ण वेतन के साथ 12 महीने का मातृत्व या पितृत्व अवकाश दिए जाने जैसे प्रोत्साहन देने की सिफारिश की है।
बहु विवाह में रहेंगी ये बंदिशें
आयोग ने बहु विवाह की स्थिति में अलग तरह की शर्तें रखी हैं। यदि एक व्यक्ति ने दो या दो से अधिक शादियां की है तो उसकी सभी पत्नियों के बच्चों की संख्या एक साथ जोड़ी जाएगी। यदि दो बच्चों में से कोई एक या दोनों बच्चे दिव्यांग होंगे तो तीसरे बच्चे के होने पर एक्ट का उल्लंघन नहीं माना जाएगा। इसी तरह यदि दो बच्चों में से किसी एक या दोनों की मृत्यु हो जाती है और फिर तीसरा बच्चा पैदा होता है तो भी एक्ट का उल्लंघन नहीं माना जाएगा। एक बच्चे के बाद दूसरे बच्चे के समय जुड़वा बच्चे पैदा होने की स्थिति में भी एक्ट का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।
लखनऊ : राज्य विधि आयोग ने सिफारिश की है कि एक बच्चे की नीति अपनाने वाले माता पिता को कई तरह की सुविधाएं दी जाएं। दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को सरकारी नौकरियों से वंचित रखा जाए। यही नहीं उन्हें स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोकने समेत कई तरह के प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है। उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण कानून के तैयार मसौदे में इस तरह के कई प्रस्ताव रखे हैं। आयोग ने इस मसौदे पर लोगों ने आपत्तियां व सुझाव भी मांगे हैं, जो 19 जुलाई तक आयोग को ई-मेल (statelawcommission2018@gmail.com) या फिर डाक के जरिए भेजे जा सकते हैं। आयोग ने इस मसौदे में एक बच्चे की नीति अपनाने वाले माता-पिता को कई तरह की सुविधाएं देने और दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को सरकारी नौकरियों से वंचित करने और स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोकने समेत कई तरह के प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है।
अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल के मार्ग-दर्शन में आयोग ने यह मसौदा तैयार किया है। आपत्तियों एवं सुझावों का अध्ययन करने के बाद संशोधित मसौदा तैयार करके राज्य सरकार को सौंपा जाएगा। देश के अन्य राज्यों में लागू कानूनों का अध्ययन करने के बाद यह मसौदा तैयार किया गया है। इसे उत्तर प्रदेश जनसंख्याय (नियंत्रण, स्थिरीकरण एवं कल्याण) एक्ट 2021 के नाम से जाना जाएगा और यह 21 वर्ष से अधिक उम्र के युवकों और 18 वर्ष से अधिक उम्र की युवतियों पर लागू होगा। यह मसौदा आयोग की वेबसाइट (upslc.upsdc.gov.in) पर अपलोड किया गया है।
यह हैं प्रस्ताव
वन चाइल्ड पॉलिसी स्वीकार करने वाले बीपीएल श्रेणी के माता-पिता को विशेष तौर पर प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत जो माता-पिता पहला बच्चा पैदा होने के बाद आपरेशन करा लेंगे, उन्हें कई तरह की सुविधाएं दी जाएंगी। पहला बच्चा बालक होने पर 80 हजार रुपये और बालिका होने पर एक लाख रुपये की विशेष प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। ऐसे माता-पिता की पुत्री उच्च शिक्षा तक नि:शुल्क पढ़ाई कर सकेगी, जबकि पुत्र को 20 वर्ष तक नि:शुल्क शिक्षा मिलेगी। इसके अलावा उन्हें नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा और सरकारी नौकरी होने की स्थिति में सेवाकाल में दो इंक्रीमेंट भी दिए जाएंगे।
दो से ज्यादा बच्चे होने पर कई सुविधाओं से वंचित
आयोग ने दो से ज्यादा बच्चों के माता-पिता को कई तरह की सुविधाओं से वंचित करने का प्रस्ताव रखा है। इसमें उन्हें स्थानीय निकायों का चुनाव लड़ने से रोकने, सरकार से मिलने वाली सब्सिडी बंद किए जाने, सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने पर रोक लगाने तथा सरकारी नौकरी कर रहे लोगों को प्रोन्नति से वंचित करने का प्रस्ताव रखा गया है। ये सभी प्रस्ताव जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करके नागरिकों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित पाठ्यक्रम स्कूलों में पढ़ाए जाने का सुझाव भी दिया है।