कोरोना से मृत शिक्षकों की गलत सूचना देने वालों पर हो कार्रवाई, कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी व पेंशनर्स अधिकारी मंच ने कहा - संवेदनशीलता अपनाए सरकार
लखनऊ। कोरोना संक्रमण से मृत शिक्षकों की गलत संख्या देने पर कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी व पेंशनर्स अधिकारी मंच ने नाराजगी जताई है। मंच ने राज्य सरकार से गलत सूचना देने बाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की है। साथ हो सरकार को भी इस मामले में अपनी मंशा स्पष्ट करने को भी कहा है।
बुधवार को वर्चुअल संवाद में मंच के पदाधिकारियों ने कहा कि कोरोना से मृत शिक्षकों ब कर्मचारियों के आंकड़ों में खेल किया गया तो मंच को न्यायालय में जाना होगा। मंच के मीडिया प्रभारी मनोज कुमार श्रीवास्तव ने कहा, सरकारी आदेश को मानकर शिक्षक और कर्मचारी चुनाव ड्यूटी करने गए थे। लेकिन उन्हें न तो कोरोना किट और न ही जरूरी संसाधन मुहैया कराई गई थी। अब कोरोना संक्रमण से मृत शिक्षकों के परिजनों के आंसू पोंछने के बजाय अधिकारी सरकार को गलत आंकड़े दे रहे हैं। इससे शिक्षक व कर्मचारी आक्रोशित हैं।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि अगर किसी मंत्री, सांसद, विधायक को किसी दौरें के दौरान मृत्यु होने पर पांच करोड़ रुपये मिलेगा कहा जाए तो क्या वह उस दौरे पर जाएगा? शासन ने कोरोना संक्रमण से शिक्षकों की मृत्यु को जो आंकड़ा जारी किया है, उसे झांसी जिला निर्वाचन अधिकारी की रिपोर्ट ही झूठा साबित कर रही है। आठ मई जारी सूची जिला निर्वाचन अधिकारी ने मृतक शिक्षकों की संख्या 10 बताई है। ऐसे में कोरोना से शिक्षकों की मृत्यु की आधिकारिक रिपोर्ट तीन कैसे दी गई।
वर्चुअल संवाद में उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा, कलेक्ट्रेट मिनिस्टीरियल संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार त्रिपाठी, रगाज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष कमलेश मिश्रा, इंदिरा भवन जवाहर भवन कर्मचारी महासंघ और राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सतीश कुमार पांडेय, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंत्र के अध्यक्ष रामराज दुबे सहित अन्य कई संगठनों के नेता शामिल थे। उन्होंने सरकार को सेवा करने के दौरान कोरोना से मरने वाले कर्मचारियों व शिक्षकों के मामले में संवेदनशीलता से विचार करने की मांग की। कहा, इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप मुआवजा देने और गलत सूचना देने वाले अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। सरकार को गलत आंकड़े देने वाले अधिकारी संवेदनशील नहीं माने जा सकते हैं।
लगता है कि सरकार ऐसे अधिकारियों को लगाकर मृतकों के परिवारीजनों को उनका अधिकार दिलाने से भी वंचित रखना चाहती है। मंच के पदाधिकारियों ने कहा कि सभी संगठनों को एकजुट होकर सरकार और इन अधिकारियों से लड़ना होगा। जिससे मृतकों के परिजनों को उनका हक मिल सके।