कोरोना काल में कर्मचारियों की ड्यूटी ने बढ़ाया रोष
लखनऊ। पंचायत चुनाव के नतीजों ने आम लोगों के साथ-साथ कोविड काल में ड्यूटी में लगे कर्मचारी संवर्ग की भी नाराजगी सामने ला दी है। बिना टीकाकरण व कोविड जांच के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने तथा कई कार्मिकों के संक्रमित होने व मौत ने आग में घी का काम किया है। इससे कर्मचारियों में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है ।
प्रदेश में कर्मचारियों व पेंशनरों की संख्या करीब 26 लाख से ज्यादा है। पंचायत चुनाव में शिक्षकों व फील्ड कर्मियों की सबसे अहम भूमिका होती है। सूत्रों के मुताबिक नाराजगी में ड्यूटी करने वाले तमाम कार्मिकों व उनके परिजनों ने इस चुनाव में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में सत्ताधारी दल के खिलाफ काम किया। फील्ड को सर्वाधिक प्रभावित करने वाले इस वर्ग ने आम लोगों को भी प्रभावित किया है।
इस तरह कर्मचारियों ने विधानसभा चुनाव से पहले पंचायत चुनाव में अपनी भूमिका का संकेत सरकार को दे दिया है। प्रदेश सरकार के कई फैसलों से कर्मचारी व पेंशनर पहले से ही नाराज थे। इसमें राज्य वेतन समिति की कई संस्तुतियों के विरुद्ध निर्णय, पूर्व से मिल रहे भक्तों की समाप्ति, वेतन विसंगतियों के समाधान पर कुंडली, फील्ड के कई संवर्गों की समय पर पदोन्नति व रिक्त पदों पर भर्ती न होने, मांगों को लेकर आंदोलनरत कर्मचारियों उनके नेताओं के खिलाफ बर्खास्तगी जैसे तमाम फैसले शामिल हैं।