कोरोना से सरकारी कर्मचारियों की मौत के मुआवजे में भेदभाव
राजस्व विभाग 50 लाख तो पंचायत देता है 30 लाख रुपये मुआवजा
अन्य ड्यूटी के दौरान जान गंवाने पर मुवावजे की कोई व्यवस्था नहीं
लखनऊ। प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की अलग-अलग ड्यूटी के दौरान कोरोना से मौत पर अलग-अलग मुआवजे की व्यवस्था है। कर्मचारी संगठन इसे भेदभाव करार देते हुए इसमें एकरूपता लाकर मुआवजे की राशि 50 लाख रुपये करने की मांग कर रहे हैं।
प्रदेश के सरकारी कर्मचारी कोरोना संक्रमण के बीच ड्यूटी कर रहे हैं। इससे बड़ी संख्या में कार्मिकों की मृत्यु हो चुकी है। पर, अलग-अलग ड्यूटी के दौरान मृत्यु पर मुआवजे की व्यवस्था भी अलग-अलग है। मसलन कोरोना से बचाव, उपचार व प्रबंधन से संबंधित ड्यूटी वाले कार्मिक फ्रंटलाइन वर्कर माने गए हैं और इनकी मृत्यु पर 50 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। जबकि राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश पर पंचायत चुनाव की ड्यूटी करने वाले कार्मिकों की कोरोना से मृत्यु पर 30 लाख रुपये मुआवजे की व्यवस्था है।
इसके अलावा जो कर्मचारी दफ्तर आने के बाद कोरोना संक्रमित होकर जान गंवा रहे हैं, उन्हें किसी तरह के मुआवजे की व्यवस्था नहीं है। कर्मचारी संगठन इसमें बदलाव की मांग कर रहे हैं। इस संबंध में कई संगठनों ने मुख्यमंत्री प्रत्यावेदन भी भेजा है। इसमें कोरोना से मृत्यु होने पर सभी कर्मचारियों के परिवारों को 50 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की गई है।
ड्यूटी में कोरोना से मृत हर कार्मिक के परिवार को मिले मुआवजा
सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र का कहना है कि हर कर्मचारी कोविड प्रोटोकॉल का पालन कर सावधानी बरत रहा है। इसके बावजूद संक्रमण के बीच ऑफिस आने-जाने व ड्यूटी की वजह से कई कार्मिकों की मृत्यु हो चुकी है। सरकार को ड्यूटी के दौरान संक्रमित होकर जान गंवाने वाले कार्मिकों के परिवारों को मुआवजा देना चाहिए।"
एक बीमारी, एक सरकार, सहायता राशि अलग-अलग होना अनुचित
प्रांतीय सीडीपीओ कल्याण संघ के अध्यक्ष एके पांडेय का कहना है कि राजस्व विभाग के शासनादेश में कोरोना ड्यूटी में लगे कर्मचारियों / दैनिक वेतन/संविदा के कार्मिको की संक्रमण से की मृत्यु दशा में उनके आश्रित को 50 लाख रुपये सहायता देने का प्रावधान है। वहीं, पंचायत निर्वाचन के दौरान ड्यूटी करते हुए कोरोना संक्रमित होने के बाद मृत्यु की दशा में आश्रित को 30 लाख रुपये की सहायता देने की व्यवस्था है। एक बीमारी, एक सरकार, एक प्रदेश और सहायता राशि अलग-अलग होना न सिर्फ विसंगतियुक्त बल्कि भेदभावपूर्ण भी है। पंचायत राज विभाग के शासनादेश में संविदा / दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी का जिक्र न होना भी जीवन का बराबर सम्मान न किया जाना है। यह संविधान द्वारा दिए गए समता के अधिकार के विपरीत है। ऐसे में ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमित होकर जान गंवाने वाले सभी कार्मिकों को एक समान 50 लाख का मुआवजा मिलना चाहिए।