वेतन व पेंशन कर्मचारियों का मौलिक हक, सरकार नहीं भाग सकती जिम्मेदारी से : दिल्ली हाईकोर्ट का निर्णय
नई दिल्ली
उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वेतन और पेंशन पाना मौजूदा व पूर्व कर्मचारियों का मौलिक अधिकार है। न्यायालय ने उत्तरी निगम की उस मांग को ठुकराते हुए टिप्पणी की है, जिसमें मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों को वेतन और पेंशन देने के लिए 30 अप्रैल तक का वक्त मांगा गया था।
जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की पीठ ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम की अर्जी को खारिज कर दिया। अर्जी में निगम ने मौजूदा एवं पूर्व कर्मचारियों को वेतन व पेंशन देने के लिए 30 अप्रैल तक का वक्त देने की मांग की थी। पीठ ने नौ मार्च को तीनों नगर निगमों को पांच अप्रैल तक मौजूदा एवं पूर्व शिक्षकों, डॉक्टरों, नसों, सफाई कर्मचारियों सहित सभी का बकाया वेतन और पेंशन का भुगतान करने का आदेश दिया था। साथ ही कहा था कि इस आदेश का पालन करने की जिम्मेदारी तीनों निगमायुक्तों की होगी।
मांग को ठुकराया : न्यायालय ने उत्तरी निगम की मांग को ठुकराते हुए कहा कि कोष में पैसा नहीं होना वेतन और पेंशन नहीं देने का आधार नहीं हो सकता है। न्यायालय ने कहा कि उत्तरी निगमने कर्मचारियों को उनकी सेवा के लिए रखा है, ऐसे में वेतन व पेंशन देने का रास्ता भी नगर निगम को ही तलाशना होगा।
केंद्र से नहीं मिला पैसा
दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने उच्च न्यायालय को बताया कि सिर्फ दिल्ली को केंद्र सरकार से नगर निगमों को देने और अपने कामकाज के लिए पैसा नहीं मिला। इस पर पीठ ने कहा कि आप (दिल्ली सरकार) अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकते। पीठ ने कहा कि आपकी कोई मांग है तो आप भी याचिका दाखिल करें। अब मामले की सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।