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Tuesday, April 20, 2021

यूपी : 05 शहरों में लॉकडाउन जैसी पाबंदी का हाईकोर्ट ने दिया आदेश

यूपी : 05 शहरों में लॉकडाउन जैसी पाबंदी का हाईकोर्ट ने दिया आदेश

जानिए कोरोना संक्रमण पर क्या है पांच शहरों के लिए हाईकोर्ट के निर्देश

कोरोना संक्रमण को लेकर पैदा हुई विस्फोटक स्थिति के लिए सरकार पर हाईकोर्ट की तीखी टिप्पणी


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण को लेकर पैदा हुई विस्फोटक स्थिति के लिए प्रदेश सरकार पर तीखी टिप्पणी की है। साथ ही जिस तरीके से पंचायत चुनाव कराए जा रहे हैं, उसे लेकर भी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि सरकार को कोरोना की दूसरी लहर के परिणाम का अंदाजा था इसके बावजूद कोई योजना नहीं बनाई गई। कोर्ट ने कहा कि जिस तरीके से पंचायत चुनाव कराए जा रहे हैं और अध्यापकों व सरकारी कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी के लिए मजबूर किया जा रहा है। लोक स्वास्थ्य की अनदेखी कर पुलिस को पोलिंग बूथ पर भेज दिया गया, हम इससे नाखुश हैं। 


कोरोना संक्रमण की स्थिति की मॉनिटरिंग कर रही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पीठ ने  कहा कि चुनाव कराने वाले अधिकारियों को भी पता है कि लोगों को एक दूसरे से दूर रखने का कोई तरीका नहीं है। चुनाव के फोटोग्राफ देखने से स्पष्ट है कि कहीं भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया गया। कई चुनाव रैलियों में लोगों ने मास्क भी नहीं पहने। ऐसे आयोजकों के खिलाफ महामारी अधिनियम में कार्रवाई की जाए और इस अदालत को इससे अवगत कराया जाए। 


जिसे ऑक्सीजन की जरूरत उसके लिए ब्रेड बटर का क्या काम
कोर्ट ने कहा कि सरकार के लिए सिर्फ अर्थव्यवस्था मायने रखती है। मगर जिसे ऑक्सीजन की जरूरत है, उसके लिए ब्रेड और बटर का कोई उपयोग नहीं है। आप के पास खाने पीने की चीजों से भरी किराना की दुकानें हों या बाइक और कार से भरे शो रूम, अगर दवा की दुकानें खाली हैं और रेमडेसिविर जैसी जीवन रक्षक दवाएं नहीं मिल रही हैं तो इन चीजों का कोई उपयोग नहीं है। 


हर दिन पांच सौ से एक हजार लोगों को अस्पताल की जरूरत
कोर्ट ने प्रदेश में मौजूदा स्वास्थ्य सुविधाओं को नाकाफी बताते हुए कहा कि प्रयागराज और लखनऊ जैसे शहरों में ही हर दिन पांच सौ से एक हजार मरीजों को अस्पताल ले जाने की जरूरत पड़ रही है। अस्पतालों के सभी बेड भरे हैं। मौजूदा स्वास्थ्य सुविधाएं इन जिलों की 0.5 प्रतिशत आबादी की जरूरत पूरी करने भर की हैं। यदि दस प्रतिशत आबादी भी भी संक्रमण की चपेट में आ गई तो हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। 


हम हालात को मूकदर्शक बनकर नहीं देख सकते
कोर्ट ने कहा कि मौजूदा हालात यह हैं कि सरकारी सुविधाएं सिर्फ वीवीआईपी और वीआईपी लोगों को ही मिल रही हैं। वीआईपी को छह से 12 घंटे में आरटीपीसीआर की रिपोर्ट मिल जाती है, जबकि आम आदमी को 72 घंटे में भी मिलना मुश्किल है। सरकारी अस्पतालों में दाखिले और रेमडेसिविर जैसी जीवन रक्षक दवाओं के लिए वीआईपी की सिफारिश लोगों को लगानी पड़ रही है। कोर्ट ने कहा कि केजेएमयू (लखनऊ) और एसआरएन अस्पताल (प्रयागराज) के कई डाक्टर यहां तक की प्रदेश के मुख्यमंत्री तक आइसोलेशन में चले गए हैं। ऐसे में हम हालात को मूक दर्शक बन कर नहीं देख सकते हैं।


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना के विस्फोट में स्वास्थ्य सुविधाओं की विफलता को देखते हुए प्रदेश के पांच सर्वाधिक प्रभावित जिलों में  26 अप्रैल तक लॉकडाउन जैसे प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। इस दौरान सभी स्थितियां लॉक डाउन जैसी ही रहेंगी। प्रतिबंध के दौरान सिर्फ स्वास्थ्य और आवश्यक सेवाओं को ही अनुमति दी जाएगी। इस दौरान कोर्ट ने प्रदेश भर की शिक्षण संस्थाओं को बंद रखने का आदेश दिया है। शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों के लिए भी शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे।

हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को 19 अप्रैल की रात से ही प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर नगर, वाराणसी  व गोरखपुर में लॉकडाउन जैसे प्रतिबंध लागू करने का निर्देश दिया है। साथ ही राज्य सरकार को कोरोना संक्रमण रोकने के लिए प्रदेश में दो हफ्ते तक पूर्ण लॉकडाउन लागू करने पर विचार करने का भी निर्देश दिया है।


अपने आदेश को स्पष्ट करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि हमारी यह कार्रवाई पूर्ण लॉक डाउन नहीं हैं, क्योंकि हम इस बात से सचेत हैं कि किसी भी सरकार को लॉक डाउन लगाने के लिए बहुत सी औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं। इस आदेश में हमने पूर्ण लॉक डाउन नहीं लगाया है, इसका अर्थ यह नहीं है कि हमें लॉक डाउन में विश्वास नहीं है। हम अभी भी इस निश्चित मत पर हैं कि यदि हम कोरोना की चेन तोड़ना चाहते हैं तो कम से कम दो सप्ताह का पूर्ण लॉक डाउन अनिवार्य है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने कोरोना संक्रमण मामले की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी। कोर्ट ने न्यायपालिका में लॉकडाउन की जिम्मेदारी उन्हीं पर छोड़ी है।


संक्रमण रोकने को सरकार ने कोई फौरी योजना नहीं बनाई
कोर्ट ने पिछले निर्देशों पर शासन की कार्रवाई को संतोषजनक नहीं माना और कहा कि लोग सड़कों पर बिना मास्क के चल रहे हैं। सौ फीसदी मास्क पुलिस लागू करने में विफल रही है। संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। अस्पतालों में दवाओं व आक्सीजन की भारी कमी है। लोग दवा के अभाव में इलाज बगैर मर रहे हैं और सरकार ने कोई फौरी योजना नहीं बनाई। न ही पूर्व तैयारी की। डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ सहित मुख्य मंत्री तक संक्रमित हैं। मरीज इलाज के लिए अस्पतालों के लिए दौड़ लगा रहे है। उनके तीमारदार भी संक्रमित हो रहे हैं। कोर्ट ने कहा इस आपदा से निपटने के लिए सरकार के लिए तुरंत इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना कठिन है, किंतु युद्ध स्तर पर प्रयास की जरूरत है।


वीआईपी को 12 घंटे में जांच रिपोर्ट, आम आदमी को तीन दिन बाद
कोर्ट ने कहा प्रयागराज शहर की आबादी 30 लाख है। 12 अस्पतालो में 1977 बेड और 514 आइ सीयू बेड ही हैं। केवल 0.5 फीसदी लोगों के इलाज की व्यवस्था है । 20 बेड प्रतिदिन बढ़ाये जा रहे हैं। लखनऊ में 1000 बेड बने हैं। फिर भी ये नाकाफी है। जरूरत कही अधिक की है। हर पांचवां घर सर्दी जुकाम से पीड़ित है। जांच नहीं हो पा रही है। वीआईपी को 12 घंटे में रिपोर्ट तो आम आदमी को तीन दिन बाद जांच रिपोर्ट मिल रही है। इन तीन दिन वह कहां जाए। कोई व्यवस्था नहीं। एक तिहाई हेल्थ वर्कर से काम लिया जा रहा।भारी संख्या में वे भी संक्रमित है।जीवन रक्षक दवाओं की कमी है।


नाइट कर्फ्य आंख में धूल झोंकने जैसा
कोर्ट ने कहा नाइट कर्फ्यू  और सप्ताहांत कर्फ्यू आंख में धूल झोंकने के सिवाय कुछ नहीं है। कोरोना ब्रेक के लिए कम से कम दो हफ्ते लाकडाउन लगाया जाना जरूरी है। अदालत कुछ लोगों की लापरवाही का खामियाजा आम पब्लिक को भुगतने के लिए  छोड़ नहीं सकती।


कोरोना संक्रमण पर क्या है पांच शहरों के लिए हाईकोर्ट के निर्देश-

● वित्तीय संस्थान व विभाग,मेडिकल व स्वास्थ्य सेवा ,औद्योगिक व वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान, नगर निकाय कार्य, सार्वजनिक परिवहन के सिवाए सभी सरकारी गैर सरकारी संस्थान 26 अप्रैल तक बंद रखने होंगे।

● मेडिकल स्टोर को छोड़ कर सभी शापिंग काम्प्लेक्स व माल, ग्रोसरी व व्यावसायिक दुकानें जहां तीन या अधिक कर्मचारी हैं भी बंद रहेंगे।

● होटल रेस्टोरेंट, खाद्य सामग्री बेचने वाले स्थल बंद, ठेले पर खाने पीने का सामान बंद रहेंगे।

● पूरे प्रदेश में सभी प्रकार के शिक्षण संस्थान, शिक्षकों व कर्मचारियों सहित बंद रहेंगे।

● सार्वजनिक समारोह व शादी कार्यक्रम बंद रहेंगे। पहले से तय शादी की अनुमति संक्रमण की स्थिति के अनुसार 25 लोगों को की अनुमति जिलाधिकारी से लेनी होगी।

● सार्वजनिक स्थान पर धार्मिक क्रियाकलाप निलंबित रहेगे,धार्मिक संस्थान बंद रहेंगे।

● हाकर, फल, सब्जी,वेंडर्स, दूध, ब्रेड,आदि 11 बजे तक बेचे जा सकेंगे।

● सड़क पर आपात सेवा व मेडिकल सेवा के अलावा यातायात नहीं होगा।

● हर कंटेनमेन्ट जोन की सूचना अखबार में देनी होगी।

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