UP Panchayat Election 2021 : यूपी पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट का फैसला, 2015 के आधार पर होगा आरक्षण
पंचायत चुनाव में कई सीटों का बदल जाएगा आरक्षण, कहीं खुशी कहीं गम
त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन में पदों के आरक्षण व आवंटन विषयक आदेश को मा0 उच्च न्यायालय ने किया खारिज, 2015 के आधार वर्ष पर तय होगा आरक्षण
🔵 आरक्षण सम्बन्धी आदेश निरस्त
🔵 27 मार्च तक तय होगा नए सिरे से आरक्षण
🔵 10 मई तक पूर्ण होंगे ग्राम प्रधान पद पर चुनाव
महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने सोमवार को राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए माना कि सरकार ने 1995 को आधार वर्ष मानकर गलती की। उन्होंने कहा कि सरकार को 2015 को आधार वर्ष मानकर आरक्षण और सीटों के अलाटमेंट की प्रकिया पूरी करने में कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने सरकार की ओर से दिए गए लिखित निर्देश की प्रति अदालत को पेश की जिसे रिकार्ड पर लिया गया।
प्रयागराज : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का आरक्षण फिर नए सिरे से होगा। अब तक किया गया आरक्षण रद कर दिय गया है। नए सिरे से आरक्षण होने पर कई सीटों में बदलाव हो जाएगा। आरक्षण होने के बाद जो लोग खुशी मना रहे थे, अब वह आशंकित हैं। अब 2015 के चुनाव के आधार पर आरक्षण करने का आदेश आने के बाद जिला प्रशासन प्रक्रिया शुरू करेगा।
पूर्व में प्रदेश सरकार से आई गाइडलाइन के मुताबिक आरक्षण हो चुका था। आरक्षण की आपत्तियां निपटाने का काम चल रहा था कि उस पर रोक लग गई। अब हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2015 के आधार पर आरक्षण करने का आदेश दिया है। इस आदेश के बाद जिले के आरक्षण में काफी बदलाव हो जाएगा।
जिला पंचायत से लेकर ग्राम पंचायत सदस्य तक के आरक्षण अब बदलेंगे। अभी के आरक्षण से जो लोग खुश हो रहे थे, उनमें से कई को निराश भी होना पड़ सकता है। सबसे ज्यादा बदलाव प्रधान पद के लिए होगा। प्रधान पद के लिए आपत्तियां भी खूब आई थी। उसमें से कई ने 2015 को आधार मानने की मांग की थी। ऐसे में हाइकोर्ट का आदेश आने के बाद इन लोगों की तो चांदी हो गई है। गाइडलाइन जारी होने के बाद उसके अनुसार आरक्षण करने और आपत्तियां निस्तारित करने में पखवाड़े भर का समय लग जाएगा। इसलिए चुनाव अब 25 मई तक जाएगा और भीषण गर्मी में ग्रामीण परेशान होंगे।
यूपी पंचायत चुनाव में सीटों पर आरक्षण व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि वर्ष 2015 को आधार मानते हुए सीटों पर आरक्षण लागू किया जाए। इसके पूर्व राज्य सरकार ने कहा कि वह वर्ष 2015 को आधार मानकर आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार है। इस पर न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने 25 मई तक यूपी पंचायत चुनाव संपन्न कराने के आदेश दिया है।
आपको बता दें कि हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका देकर 11 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया है कि पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू किए जाने सम्बंधी नियमावली के नियम 4 के तहत जिला पंचायत, सेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत की सीटों पर आरक्षण लागू किया जाता है। कहा गया कि आरक्षण लागू किए जाने के सम्बंध में वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानते हुए 1995, 2000, 2005 व 2010 के चुनाव सम्पन्न कराए गए।
याचिका में आगे कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 को एक शासनादेश जारी करते हुए वर्ष 1995 के बजाय वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किए जाने को कहा गया। उक्त शासनादेश में ही कहा गया कि वर्ष 2001 व 2011 के जनगणना के अनुसार अब बड़ी मात्रा में डेमोग्राफिक बदलाव हो चुका है। लिहाजा वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानकर आरक्षण लागू किया जाना उचित नहीं होगा। कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 के उक्त शासनादेश को नजरंदाज करते हुए, 11 फरवरी 2021 का शासनादेश लागू कर दिया गया। जिसमें वर्ष 1995 को ही मूल वर्ष माना गया है। यह भी कहा गया कि वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव भी 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश के ही अनुसार सम्पन्न हुए थे।