पंचायत चुनाव में आरक्षण के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका, हाईकोर्ट के फैसले को दी गई चुनौती
यूपी पंचायत चुनाव आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी कल
नई दिल्ली। यूपी में पंचायत चुनाव आरक्षण को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 26 मार्च को सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामा सुब्रमण्यम की बेंच मामले की सुनवाई करेगी। वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने भी मामले में सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दाखिल की है। यानी अब पंचायत चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट को किसी तरह का आदेश पारित करने से पहले यूपी सरकार का पक्ष सुनना होगा।
नई दिल्ली: उप्र का पंचायत चुनाव मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के गत 15 मार्च के आदेश को चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने 16 सितंबर 2015 के शासनादेश की आरक्षण नीति के मुताबिक पंचायत चुनाव कराने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका सीतापुर जिले के बरोसा गांव के रहने वाले दिलीप कुमार ने दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने उस आदेश में 11 फरवरी 2021 का शासनादेश रद कर दिया है जिसमें 1995 से लेकर अभी तक सिर्फ 2015 को छोड़कर आरक्षण का रोटेशन सिस्टम अपनाया गया था। हाईकोर्ट ने 2015 की आरक्षण नीति के हिसाब से पंचायत चुनाव कराने को कहा है। 2015 में नए सिरे से आरक्षण का रोटेशन सिस्टम अपनाया गया था।
याची का कहना है कि सरकार ने 11 फरवरी के आदेश के मुताबिक चुनाव की सारी तैयारी कर ली थी और अंतिम सूची प्रकाशित होने वाली थी। याची ने कहा है कि वह अनुसूचित जाति का है। हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में वह या उसके समकक्ष कोई भी पक्षकार नहीं था। याची के गांव के लोगों की याददाश्त के मुताबिक उसके गांव में कभी अनुसूचित जाति का प्रधान नहीं हुआ है। 1995 में हुए 73वें संशोधन के बाद से तो नहीं ही हुआ है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है | जिसमें वर्ष 2015 को आधार बर्ष मानकर प्रदेश में पंचायत चुनाव में सीटों के लिए आरक्षण लागू करने का आदेश दिया गया था। वास्तव में इस फैसले को लेकर कुछ लोग खुश हैं और कुछ इसके विरोध में हैं। इस व्यवस्था से कई ग्राम पंचायत के समीकरण ही बदल गए हैं।
दिलीप कुमार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले पर बिचार किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि हाईकोर्ट में उनका पक्ष नहीं सुना गया। सनद रहे कि पिछले दिनों हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 को आधार वर्ष मानकर प्रदेश में पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू करने का आदेश दिया था और 25 मई तक पंचायत चुनाव AI कराने के लिए कहा था।