इस साल भी 8.5 फीसद ब्याज देगा ईपीएफओ, कटौती की आशंका खारिज
● कोरोना काल में ब्याज दरों में कटौती की आशंका को खारिज किया
● फैसले से पांच करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों को मिलेगा फायदा
● वित्त मंत्रलय की मंजूरी के बाद ब्याज की रकम सदस्यों के खाते में भेजी जाएगी
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने चालू वित्त वर्ष (2020-21) में पीएफ पर 8.5 फीसद की ब्याज दर कायम रखने का फैसला किया है। गुरुवार को श्रीनगर में सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में इस संबंध में फैसला लिया गया। ईपीएफओ के पांच करोड़ से ज्यादा सदस्यों को पीएफ की राशि पर इस दर से ब्याज मिलेगा।
श्रम मंत्रलय ने बताया कि केंद्रीय श्रम राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार की अध्यक्षता में श्रीनगर में ट्रस्टी बोर्ड की बैठक हुई। ब्याज दरों में बोर्ड का फैसला वित्त मंत्रलय के समक्ष भेजा जाएगा। वित्त मंत्रलय की संस्तुति के बाद सदस्यों के खाते में ब्याज की राशि क्रेडिट कर दी जाएगी। श्रम मंत्रलय ने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष में ईपीएफओ ने इक्विटी में अपने निवेश को बाहर निकालने का फैसला किया है।
डेट इंवेस्टमेंट से मिले ब्याज और इक्विटी निवेश को बेचने से मिले फंड से ही ऊंची दर पर ब्याज देना संभव हुआ है। ईपीएफओ अपने सदस्यों को अधिक ब्याज देने के बाद भी सरप्लस की स्थिति में रहेगा। इससे भविष्य में भी सदस्यों को बेहतर रिटर्न देने की संभावना बनी है।’ इस साल कोरोना महामारी के कारण जमा की तुलना में निकासी ज्यादा रहने के कारण अनुमान लगाया जा रहा था कि ईपीएफओ ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।
वित्त वर्ष 2019-20 के लिए ईपीएफओ ने ब्याज दरों को 8.5 फीसद करने का एलान किया था, जबकि 2018-19 में यह 8.65 फीसद था। ईपीएफओ ट्रस्टी केई रघुनाथन ने कहा कि 8.5 फीसद की ब्याज दर को बनाए रखकर भी ईपीएफओ के पास 2019-20 की तुलना में करीब 300 करोड़ रुपये का सरप्लस है। वित्त वर्ष 2013-14 से ईपीएफओ ने कभी 8.5 फीसद से कम ब्याज नहीं दिया है। यह रिटर्न भी ऐसी स्थिति में संभव हुआ है, जबकि ईपीएफओ निवेश करते समय कम रिस्क और ज्यादा सुरक्षा पर ध्यान देता है।