यूपी पंचायत चुनाव : कैबिनेट ने आरक्षण नियमावली पर लगाई मुहर, जल्द जारी होगा शासनादेश
जानिए पंचायत चुनावों में सीटों के लिए आरक्षण लागू करने का नया फार्मूला
आज जारी होगी पंचायत चुनाव की आरक्षण नीति
पंचायतराज नियमावली में 11वें संशोधन की अधिसूचना जारी, लागू होगा चक्रानुक्रम आरक्षण
लखनऊ : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण नीति की घोषणा गुरुवार को होगी। राज्य सरकार ने चक्रानुक्रम आरक्षण व्यवस्था लागू रखने के लिए उप्र पंचायतराज (स्थानों व पदों के आरक्षण व आवंटन) नियमावली में 11वें संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी। इससे सभी 75 जिलों में चक्रानुक्रम आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है।
वर्ष 2015 में पंचायतराज (स्थानों व पदों के आरक्षण व आवंटन) नियमावली में 10वां संशोधन करके नया प्रविधान जोड़ा गया था, जिसके तहत पंचायत चुनाव से पूर्व पुनर्गठन व परिसीमन किया जाता है तो उस चुनाव में पिछले आरक्षण को शून्य मान कर आरक्षण नए सिरे से किया जाएगा। इसके आधार पर 2015 के चुनाव में ग्राम पंचायत सदस्य व प्रधान पदों के लिए नए सिरे से आरक्षण किया गया था प्रदेश के चार जिले गोंडा, संभल, मुरादाबाद व गौतमबुद्धनगर इससे अछूते रह गए थे। इन जिलों में पुनर्गठन व परिसीमन दिसंबर, 2020 में कराया गया| ऐसे में वर्ष 2015 में नियमावली में शामिल प्रविधान को समाप्त न किया जाता तो इन चार जिलों में आरक्षण शून्य करने की बाध्यता होती। इसके चक्रानुक्रम आरक्षण सभी जिलों में समान रूप से आगे नहीं बढ़ पाता।
नए फैसले से अब वह पंचायतें जो पहले एससी के लिए आरक्षित होती रहीं और ओबीसी के आरक्षण से वंचित रह गई। वहां ओबीसी का आरक्षण होगा और इसी तरह जो पंचायतें अब तक ओबीसी के लिए आरक्षित होती रही हैं वह अब एससी के लिए आरक्षित होंगी। इसके बाद जो पंचायतें बचेंगी, वह आबादी के घटते अनुपात में चक्रानुक्रम के अनुसार सामान्य वर्ग के लिए होंगी। इन पांच चुनावों में महिलाओं के लिए तय 33 प्रतिशत आरक्षण का कोटा तो पूरा होता रहा, मगर एससी के लिए 21 प्रतिशत और ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण कोटे के हिसाब से कई ग्राम, क्षेत्र व जिला पंचायतें आरक्षित नहीं हो पाई।
ऐसी पंचायतों की गिनती होगी
प्रदेश सरकार ने इसी बात पर गौर करते हुए यह व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है कि इस बार के चुनाव के लिए आरक्षण तय करते समय सबसे पहले यह देखा जाए कि वर्ष 1995 से अब तक के पांच चुनावों में कौन सी पंचायतें अनुसूचित जाति (एससी) व अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित नहीं हो पाई हैं और इन पंचायतों में इस बार प्राथमिकता के आधार पर आरक्षण लागू किया जाए।
यूपी पंचायत चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई है। अब लोगों को आरक्षण सूची काा इंतजार है। वैसे अब मार्च में पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी होने का रास्ता साफ हो गया है। योगी कैबिनेट ने पंचायतों के आरक्षण की नियमावली पर मुहर लगा दी है। इसके बाद जल्द ही शासनादेश जारी हो जाएगा। इसके जारी होते ही यह स्थिति साफ हो जाएगी कि कौन सा गांव अनारक्षित है और काैन सा गांव किस जाति के लिए आरक्षित हुआ है। आरक्षण सूची जारी होने के बाद माना जा रहा है कि चुनाव आयोग तारीखों का ऐलान कर देगा।
हाईकोर्ट ने दिए थे सख्त निर्देश :
हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए है कि प्रदेश में 30 अप्रैल तक पंचायत चुनाव सम्पन्न करा लें। यह आदेश न्यायमूर्ति एमएन भंडारी एवं न्यायमूर्ति आरआर आग्रवाल की खंडपीठ ने विनोद उपाध्याय की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने 30 अप्रैल तक प्रधानी के चुनाव कराने का निर्देश देने के साथ ही मई में ब्लाक प्रमुख का चुनाव कराने को कहा है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को पंचायत चुनाव के लिए 17 मार्च तक आरक्षण का कार्य पूरा करने के निर्देश दिया है।
साथ ही कोर्ट ने प्रधान के चुनाव 30 अप्रैल तक, जिला पंचायत सदस्यों व ब्लॉक प्रमुखों का चुनाव 15 मई तक कराने को कहा है। कोर्ट ने बुधवार को चुनाव आयोग से जवाब मांगा था। चुनाव आयोग के कार्यक्रम पेश करने के बाद आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था, जिस पर गुरुवार को सुनवाई हुई। चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट में जो कार्यक्रम पेश किया था, उसमें चुनाव मई तक होने की बात कही गई थी। इस पर हाईकोर्ट ने साफ कहा कि पंचायत चुनाव मई में कराने का प्रस्ताव प्रथम दृष्टया स्वीकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि नियमानुसार 13 जनवरी 2021 तक चुनाव करा लिए जाने थे।
चुनाव आयोग ने अपने कार्यक्रम में हाईकोर्ट को बताया कि गत 22 जनवरी को पंचायत चुनाव की मतदाता सूची तैयार हो गई है। 28 जनवरी तक परिसीमन का काम भी पूरा कर लिया गया है लेकिन सीटों का आरक्षण राज्य सरकार को फाइनल करना है। इसी कारण अब तक चुनाव कार्यक्रम जारी नहीं किया जा सका है। आयोग ने बताया कि सभी सीटों का आरक्षण पूरा होने के बाद चुनाव में 45 दिन का समय लगेगा।