इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्देश, यूपी में 30 अप्रैल से 15 मई के बीच कराएं पंचायत चुनाव
जल्द चुनाव कराने को लेकर हाईकोर्ट के रुख को देखते हुए आयोग अब 42-45 दिनों में ही चुनाव कराने की तैयारी में जुटा
पंचायत चुनाव कराने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने भले ही कोर्ट से 60 दिन की मोहलत मांगी थी, लेकिन वर्ष 2000 में आयोग मात्र 37 दिनों में चुनाव की प्रक्रिया पूरी करने का रिकार्ड बना चुका है। जल्द चुनाव कराने को लेकर कोर्ट के रुख को देखते हुए आयोग अब 42-45 दिनों में ही चुनाव कराने की तैयारी में जुट गया है। 30 अप्रैल तक प्रक्रिया पूरी करने के लिए आयोग 18 मार्च को चुनाव की अधिसूचना जारी कर सकता है। बशर्ते राज्य सरकार पदों के आरक्षण की अधिसूचना समय से जारी कर दे।
वैसे तो पंचायत चुनाव पिछले वर्ष 25 दिसंबर से पहले ही हो जाने चाहिए थे, लेकिन कोरोना के कारण टले चुनाव अब ज्यादा टलते नहीं दिखाई दे रहे हैं। गुरुवार को हाईकोर्ट के संबंधित फैसले से साफ है कि अब चुनाव को लेकर किसी तरह की टालमटोल नहीं हो सकती है। अब आयोग को चूंकि 30 अप्रैल तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी ही करनी है, इसलिए वह 60 दिन के बजाय 42-45 दिनों में चुनाव कराने का कार्यक्रम बनाने की दिशा में काम करने लगा है।
पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान मौजूद रहे राज्य निर्वाचन आयोग के अपर निर्वाचन आयुक्त वेद प्रकाश वर्मा ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि आयोग, हाईकोर्ट द्वारा तय समय-सीमा में चुनाव कराने को पूरी तरह से तैयार है। चुनाव कराने के लिए हमारी मतदाता सूची प्रकाशित हो चुकी है। 52.50 करोड़ मतपत्र व 90 हजार मतपेटियां जिलों में भेजी जा चुकी हैं। अमिट स्याही का आर्डर भी हो चुका है।
आयोग वर्ष 2000 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 37 दिनों में ही करा चुका है। वर्ष 2005 में दो राउंड में चुनाव कराए गए थे। पहला राउंड 41 दिन व दूसरा 33 दिनों का रहा था। इसी तरह वर्ष 2010 में 45 दिनों के एक ही राउंड में पूरी चुनाव प्रक्रिया पूरी की गई थी। वर्ष 2015 में दो राउंड में हुए चुनाव में पहला राउंड 42 दिनों का व दूसरा 37 दिनों का रहा था। चूंकि इस बार पूरी चुनाव प्रक्रिया 45 दिनों के अंदर ही पूरी की जानी है, इसलिए आयोग चारों पदों के लिए एक साथ चार चरणों में चुनाव कराने की तैयारी में जुटा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग और उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि ग्राम पंचायत चुनाव 30 अप्रैल तक करा लिया जाएं ताकि 15 मई तक सभी पंचायतों का गठन किया जा सके। 15 मई तक ही जिला पंचायत सदस्यों और ब्लाक प्रमुखों का चुनाव कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण का कार्य 17 मार्च तक पूरा करने निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने इससे पूर्व मई में चुनाव कराने के निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया था। विनोद उपाध्याय की याचिका पर न्यायमूर्ति एमएन भांडरी और न्यायमूर्ति आरआर अग्रवाल की पीठ ने यह आदेश दिया है।
उत्तर प्रदेश में इस बार 75 जिला पंचायत, 826 क्षेत्र पंचायत (ब्लॉक), 58,194 ग्राम पंचायत, 3051 जिला पंचायत सदस्य, 75,855 क्षेत्र पंचायत सदस्य और 7,31,813 ग्राम पंचायत सदस्य चुने जाएंगे। इस तरह कुल 8,69,814 जनप्रतिनिधि चुने जाएंगे। अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश में नगरीय निकायों के सीमा विस्तार या नए निकायों के गठन से ग्राम पंचायतों की संख्या में कमी आई है।
गौरतलब है कि प्रदेश में ग्राम, क्षेत्र व जिला पंचायतों के निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का काम काफी दिनों से चल रहा था। पूर्ण परिसीमन चार जिलों गौतमबुद्धनगर, मुरादाबाद, संभल व गोंडा में हुआ है। इनमें वर्ष 2015 में परिसीमन नहीं हो पाया था। जबकि जिन जिलों में नए नगरीय निकायों का गठन हुआ है या नगरीय निकायों का सीमा विस्तार हुआ है, उनमें आंशिक परिसीमन कराया गया है।
ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायतों के निर्वाचन क्षेत्र (वार्डों) के परिसीमन (पुनर्गठन) का काम पूरा करके अधिसूचना जारी कर दी गई है।