RTI : सूचना का अधिकार से जुड़े आवेदनों के निस्तारण में ढिलाई पर सीएम सख्त, नोडल अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने का फरमान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के अंतर्गत प्राप्त आवेदनों पर कार्यवाही में शिथिलता पर नाराजगी जताई है। उन्होंने 50 प्रतिशत से अधिक लंबित आवेदन पत्र वाले विभागों के नोडल अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने का फरमान सुना दिया है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर केंद्र सरकार की तरह प्रदेश में भी आरटीआई के अंतर्गत आवेदनों व प्रथम अपीलों को ऑनलाइन प्राप्त कर निस्तारित करने के लिए एनआईसी की मदद से एक वेबपोर्टल (https://rtionline.up.gov.in) विकसित किया गया है। इस पोर्टल पर कार्य करने के लिए विभिन्न स्तरों के कार्यालयों में समन्वय (नोडल) जन सूचना अधिकारी नािमत किए गए हैं। इन्हें ऑनलाइन कार्य के लिए आईडी व पासवर्ड उपलब्ध कराए गए हैं।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री कार्यालय में इस पोर्टल पर प्राप्त आवेदनों व अपीलों के निस्तारण की समीक्षा की गई। पता चला कि तमाम विभागों के नोडल अधिकारियों ने इस पोर्टल पर काम ही नहीं शुरू किया। कई जगह शुरू भी किया गया तो उनके स्तर पर लंबित जनसूचना आवेदनों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक है।
अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल ने ऐसे 38 विभागों के अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों व सचिवों को पत्र लिखा है जिनके विभागों के नोडल अधिकारियों ने काम शुरू नहीं किया या शुरू किया तो 50 प्रतिशत से अधिक आवेदन लंबित हैं। इन 38 विभागों में से 30 ने एक भी आवेदन का निस्तारण नहीं किया है। उन्होंने इस स्थिति पर मुख्यमंत्री की अप्रसन्नता का हवाला देते हुए समस्त लंबित आवेदन पत्रों का निस्तारण तय समयसीमा में कराने का निर्देश दिया है। साथ ही अब तक काम शुरू न करने वाले नोडल अधिकारियों का उत्तदायित्व तय करने को कहा है।
50 या इससे अधिक आवेदन वाले विभागों की स्थिति
विभाग कुल आवेदन लंबित आवेदन
गृह 628 454
उच्च शिक्षा 489 254
माध्यमिक शिक्षा 362 362
अवस्थापना एवं औद्योगिक विका 237 236
सिचंाई व जल संसाधन 229 128
स्टांप रजिस्ट्रेशन 217 217
नियुक्ति 136 136
बैंकिंग 150 150
श्रम 126 126
न्याय 137 73
आयुष 57 57
वाणिज्य कर 63 63
आईटी एवं इलेक्ट्रानिक्स 58 52
चिकित्सा शिक्षा 50 50
महिला कल्याण, बाल विकास-पुष्टाहार 82 82
50 से कम आवेदन वाले विभाग
कृषि शिक्षा व अनुसंधान, पशुधन, सिविल डिफेंस, गोपन, उपभोक्ता संरक्षण व बांट-माप, समन्वय, संस्कृति, वाह्य सहायतित परियोजना, होमगार्ड, लघु सिंचाई, एनआरआई, राष्ट्रीय एकीकरण, नियोजन, राजनीतिक पेंशन, कार्यक्रम क्रियान्वयन, सार्वजनिक उद्यम, धमार्थ कार्य, सैनिक कल्याण, खेल, चीनी उद्योग व गन्ना, वस्त्र व हथकरघा, शहरी विकास एवं गरीबी उन्मूलन, परती भूमि सुधार।